एक बार एक जंगल में बहुत से जानवर रहते थे ।शेर,चीता, भालू,लोमड़ी,सियार,गीदड़,हिरन,बन्दर,खरगोश,चूहा,हाथी, गिलहरी आदि । एक बार जंगल में काफी दिनों से बारिश नहीं हुई जंगल के तालाब सूखने लगे घास भी कम होने लगी। जानवर भूख और प्यास से तड़पने लगे। शेर सोचने लगा यही हाल रहा तो हम सब भूख-प्यास से मर जाएंगे फिर ये जंगल भी वीरान हो जायेगा हमें इस समस्या का हल खोजना ही होगा । शेर ने जंगल में एक मीटिंग बुलाई। सभी जानवर उस मीटिंग में आए शेर ने सबसे अपनी बात कहीं
शेर- भाइयो आप सब देख ही रहे हैं जंगल में सूखा पड़ा हुआ हैं न तो पीने को पर्याप्त पानी हैं और न ही खाने को चारा । जल ही तो जीवन हैं अगर जल नहीं होगा तो हम सबका अस्तित्व भी खत्म हो जायेगा ,हमे जल्द ही कुछ उपाए करना होगा
भालू- लेकिन ये तो प्रकृति पर निर्भर हैं ,बारिश नहीं हुई तो इसमें हम क्या कर सकते हैं
शेर- माना बारिश होना न होना हमारे हाथ में नही पर कुछ न कुछ उपाए तो होगा ही जिससे हम इस समस्या से बाहर निकल सके
हिरन- इसके लिए तो महाराज हमें जल संरक्षण करना होना।
शेर- बिल्कुल सही बात कही तुमनें। लेकिन हम जल संरक्षण कैसे करे इसका उपाए किसी के पास हो तो अपना सुझाव दे
सियार- महाराज इसके लिए हमें बड़े बड़े गड्ढे खोदने चाहिए ताकि उसमें बारिश का पानी इकठ्ठा हो सके।
शेर- बहुत खूब, किसी के दिमाग में कुछ और विचार हो तो बताए
लोमड़ी- महाराज गड्ढे भी हमें दो तरह के खोदने होंगे पहला तो किसी तालाब जैसे और दूसरा गहरें कुँए जैसा ताकि उसमे ज्यादा से ज्यादा पानी इक्क्ठा हो और हम उसे लम्बे समय तक काम में ले सके। कुँए जैसे गड्ढे के चारो तरफ हमें नाली जैसी खुदाई करनी होगी ताकि आसपास का सारा पानी उसमे एकत्रित हो सके।
शेर-बहुत ही बढ़िया
हाथी- महाराज पानी एकत्रित करने के साथ साथ ही हमें उसके सफाई का भी ध्यान रखना होगा। जिसके लिए अलग अलग टीम बनाई जाए तो बेहतर होगा
शेर-बिल्कुल सही कहा तुमनें ,हम सब कल से ही इसकी शरुवात करते हैं,हम लोग टीम बनाकर काम करेंगे। कुछ जानवर तालाब की खुदाई करेंगे और कुछ कुँए की फिर इनकी साफ सफाई का जिम्मा भी बारी बारी उठाएंगे।
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अगले दिन सभी जानवर अपनें- अपने काम पर लग गए। कोई खुदाई कर रहा था तो कोई मिट्टी फेंक रहा था सभी जानवरों में जोश और उमंग दोनो थी।जल्द ही गड्ढे खोद लिए गए। कुछ समय बाद जोरदार बारिश हुई जानवरों द्वारा बनाए गए तालाब और कुँए पानी से लबालब भर गए। जानवर खुशी से नाचने लगे ,झूमने लगे । अब अगर सालभर भी बारिश न हो तो जानवरों को कोई दिक्कत नहीं थी उनके पास भरपूर पानी था।शेर ने फिर मीटिंग बुलाई
शेर-देखा भाइयो हम सब ने मिलकर सोचा तो हमें समस्या का हल मिल गया और साथ मिलकर काम किया तो समस्या हल भी हो गई।इसलिए ""साथ मिलकर सोचो,साथ मिलकर करो"" समस्या का हल मिलेगा भी और समाधान होगा भी
सभी जानवरों ने एक साथ जोर से बोला
""साथ मिलकर सोचो,साथ मिलकर करो""
जैसे हमनें ढूंढा हल,हमें मिल गया जल
🙏समाप्त🙏
मिलते हैं अगली कहानी में। कहानी कैसी लगी कमेन्ट कर के जरूर बताए