नन्हें दोस्तों पिछले भाग में आपने पढ़ा था टीनू, रंगीली, चमकीली और सुनहरी की चित्रकारी की मस्ती। अरे भई वो रविवार तो कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया। है न? सच में... देखो उससे पिछले भाग में रंगीली और उसकी दोस्त टीनू के घर आई और उन्होंने खीर की दावत उड़ाई फिर उसके अगले भाग में उन्होंने पेंटिंग बनाई। पेंटिंग क्या बनाई भई होली ही खेल ली।
अब मैं सोच रही हुँ इस रविवार को यही खत्म करके रंगीली, चमकीली और सुनहरी को उनके घर भेज देती हुँ।.... क्या कहा नहीं!.... अरे! घर नहीं जाएंगी तो उनके घरवाले फिक्र करेंगे न और फिर जब जाएंगी ही नहीं तो दोबारा आएँगी कैसे?? चलो अब जल्दी से कहानी शुरू करते है.....
शाम होने वाली थी यानि रँगीली, सुनहरी और चमकीली के घर जाने का समय हो चुका था। दिन भर रंगो से मस्ती करके सभी बहुत थक चुके थे।
"आज तो बहुत मजा आया।" सुनहरी मुस्कराते हुए बोली
"हाँ! लेकिन कमरे की हालत तो देखो, अब माँ से डांट पड़ेगी मुझे।" टीनू थोड़ा उदास होते हुए बोला। चारों ने कमरे को देखा। पूरे कमरे में ऐसा लगता था जैसे रंग-बिरंगी बारिश हुई हो। एक पर्दे पर आसमानी और काला रंग बादलों का आकार दे रहा था। टेबल, कुर्सी और फर्श पर रंग-बिरंगे कई धब्बे बने हुए थे। दीवारों पर भी अलग-अलग रंगो के टेढ़े-मेढे डिजाईन बने हुए थे। बिस्तर पर बिछी चादर तो मानो जैसे कई सारे इंद्र-धनुष का तालाब हो।
कमरे की हालत देख कर चारों ने एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा।
"तुम लोग जाओ, मैं ये सब साफ कर लूंगा।" टीनू ने कहा और वॉशरूम की तरफ चला गया। रंगीली, सुनहरी और चमकीली एक दूसरे को देखकर मुस्कराने लगी।
तीनों ने गोलाई में उड़ते हुए अपने पँख एक दूसरे से मिला लिए और फिर एक साथ गोलाई में उड़ते हुए अजीब तरह से हवा में कलाबाजी करने लगी।
तभी टीनू वॉशरूम से एक बाल्टी में पानी लेकर आया और उसकी नजर उन तीनों पर पड़ी।
"तुम ये क्या कर रही हो?" टीनू ने उन्हें हवा में एक साथ उड़कर कालाबाजी करते हुए देखकर पूछा
जवाब में तीनों तितलियाँ मुस्करा दी। इसके बाद जो हुआ टीनू उसे देखकर हैरान हो गया। कमरे में बिखरा पीला सुनहरा रंग हवा में उड़ने लगा और आकर सुनहरी के पँखों को और भी चमकदार बनाने लगा। जहाँ भी पीला सुनहरा रंग था, दीवार पर, फर्श पर, चादर पर सभी जगह से पीला सुनहरा रंग उड़ कर सुनहरी के पँखों में समाने लगा।
इसके बाद चमकीली के पंखो में सफेद चमक वाले सभी रंग कमरे से उड़-उड़ कर आने लगे। टीनू ये देखकर बहुत हैरान भी था और खुश भी।
आखिर में रंगीली ने अपने पँख खास अंदाज में लहराए और कमरे में बिखरे अलग-अलग तरह के सभी रंग उड़-उड़ कर रंगीली के पँखों में समाने लगे।
टीनू ये सब देख कर बहुत खुश हो रहा था। थोड़ी ही देर बाद पूरा कमरा पहले की तरह साफ हो चुका था।
"ओह.. तो अब समझ आया कि तुम सतरंगी क्यों हो? सुनहरी सोने जैसी क्यों है और चमकीली, चमकदार क्यों है?" टीनू चहकते हुए बोला। टीनू की बात सुनकर तीनों तितलियाँ मुस्करा उठी
"टीनू अब हम चलते है। अगले रविवार को फिर से तुम्हारे घर आएंगे।" रंगीली मुस्करा कर बोली
"अगले रविवार मैं तुम्हारे घर आऊंगा।" टीनू बोला। उसकी बात सुनकर तितलियों ने एक-दूसरे को देखा और फिर एकसाथ कहा, "हमारे घर!"
"हाँ!.... अरे! तुम्हारा घर तो छोटा-सा होता होगा न? जैसे मधुमक्खी का होता है। एक छोटा सा छत्ता और उसी में रहती है बहुत सारी मधु मक्खीयाँ! तुम भी ऐसे ही किसी घर में रहती होंगी न?" टीनू बोला। तितलियों ने मुस्करा कर एक-दूसरे को देखा।
"मैं तो बस बाहर से ही तुम्हारा घर देख सकता हुँ, तुम्हारा घर अंदर से कैसा दिखता है ये मैं कभी नहीं जान पाऊँगा। काश! मैं भी तुम्हारे घर के अंदर आकर तुम्हारे साथ खेल सकता।" टीनू अपने गालों पर हाथ रखते हुए उदासी के साथ बोला। उसकी बात सुनकर तीनों तितलियाँ भी उदास हो गई।
"टीनू हमें देर हो रही है, अभी हमें चलना होगा।" रंगीली दुखी स्वर में बोली
"हाँ! तुम लोग जाओ। अगले रविवार को हम फिर मिलेंगे।" टीनू ने जबरदस्ती मुस्कराते हुए कहा हालांकि वो मन ही मन बहुत उदास था।
तितलियों ने भी मुस्करा कर टीनू को बाय कहा और उड़ चली अपने घर की तरफ लेकिन तीनों ही टीनू की बात सुनकर और टीनू को उदास देखकर बहुत दुखी थी।
"सच ही तो कह रहा था टीनू, हम कितनी ही बार उसके घर आ चुके है लेकिन उसने हमारा घर नहीं देखा। टीनू तो जानता तक नहीं कि हमारा घर है कहाँ?" रंगीली मन ही मन खुद से ही बात कर रही थी। सुनहरी और चमकीली भी किसी सोच में गुम उदास होकर उड़ रही थी।
"टीनू की उदासी दूर करने के लिए मुझे कुछ तो करना होगा।" रंगीली ने मन में ही कुछ ठान लिया था।
🦋🦋🦋🦋 रंगीली ने क्या सोचा होगा??.... सोचो, सोचो.... आराम से सोचो और मैं भी सोचती हुँ.... तुम्हें पता चल जाए तो कमेंट में बताना और मुझे पता चला तो मैं अगले भाग में बताऊँगी 😊..... तब तक तुम सोचते रहो... खूब पढो और खूब खेलो.....🦋🦋🦋🦋