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हर बात में तू दिखता है हर याद में तू बसता है
जिंदगी की किताब के हर पन्ने में तू छपता है
कभी ख्यालो में कभी दरख्तों में
हर बार पलको से छलकता है
शाम की अजान में सुबहो की अरदाज में
हमारे हर खयाल में बंदगी सा महकता है
देखु तुझे नजर नही भरता है
जानती हूं मासूम सा दिखता है
मिल सके कभी ये दुआ मांगते है
मेरी हथेली में चांद सा पलता है
ani@