अनीश की पहली मुस्कान
जब अनीश ने पहली बार मुस्कराया था,
माँ की गोद में वो लाड़ से लिपटाया था।
उसकी नन्हीं-नन्हीं आँखों में चमक थी,
जैसे आसमान के तारों की कोई झलक थी।
उसकी हंसी में छिपा था संसार सारा,
हर आवाज़ से खिलता था माँ का प्यारा।
पहला कदम बढ़ाते वो ठोकर खाता,
पर उसकी हंसी में छिपा था अद्भुत नाता।
चूड़ियों की खनक, माँ की ममता का बंधन,
अनीश की हर शरारत थी एक नया आलम।
घर में उसकी किलकारियों से बजी थी बांसुरी,
हर कोई देखता उसे, जैसे कोई प्यारा तारा।
उसकी मुस्कान में छिपी थी मासूमियत,
जैसे फूलों की कोमलता, हवा की नरमियत।
माँ कहती, “तू है मेरा सबसे अनमोल खजाना,”
और अनीश था उसका, सबसे प्यारा दीवाना।