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आंखों से दिल तक..

18 जनवरी 2022

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प्यार कब, कहाँ, किससे, कैसे हो जाए ये कोई नहीं जान सकता..। और प्यार के बारे में कोई कितना भी लिख ले.. वो तब तक समझ नहीं आता जब तक आप खुद उसे महसूस नहीं कर लेते..। 

मेरा नाम राजेश हैं..।बात हैं आज से कुछ सालों पहले की...। दिवाली  आने वाली थी और हमें अपना घर शिफ्ट करना था..। मेरे परिवार में मेरे साथ मेरी माँ, पापा एक छोटी बहन रहतीं हैं..। हम किराये के घर में रहते हैं.. जो हमे हर ग्यारह महिने बाद बदलना होता था..। 

दिवाली तक हमनें सभी सामान अपने नए घर में शिफ्ट कर लिया था..। क्योंकि दिवाली की पुजा हमें उसी नए घर में करनी थी..। मैं स्वभाव से बहुत शांत था.. जल्दी किसी से घुलता मिलता नहीं था..। 

दिवाली की रात पूजा खत्म करके अपनी बहन मीनू के साथ घर के बाहर पटाखे जलाने गया..। हमें अभी कुछ मिनट ही हुवे होंगे की पड़ोस में रहने वाले एक सज्जन बाहर आए और बोले बेटा यहाँ पटाखे मत जलाओ... घर में कोई बिमार हैं... आप गली के बाहर जाकर जला लो..। 

हम उस जगह पर नए थें इसलिए बिना किसी बहस के हम दोनों भीतर आ गए..। लेकिन मुझे ये बात बहुत बुरी लगी..। पर मैनें ये बात भी देखी की पूरी गली में कोई भी पटाखे नहीं जला रहा था.. मुझे थोड़ा अजीब भी लगा । 

खैर वो दिवाली तो हमारी बिना आतिशबाजी के चलीं गई..। कुछ दिनों बाद में अपने घर की बालकनी में अखबार पढ़ रहा थी ...कि मेरा ध्यान उसी अंकल की बालकनी में गया... वहाँ एक लड़की अपने चेहरे को पूरी तरह ढककर ( सिर्फ उसकी आंखें दिख रही थी) बालकनी में लगे पौधों में पानी डाल रहीं थी..। मुझे ये बात थोड़ी अजीब लगी की अपने ही घर में कोई ऐसे चेहरा ढककर क्यूँ रह रहा हैं..। 

अब लगभग हर रोज़ मैं उस लड़की को देखता था... कभी पौधों में पानी देते हुए,कभी बालकनी की सफाई करते हुए, कभी अखबार पढ़ते हुए..। पर हमेशा चेहरा ढका हुआ..। पता नहीं क्यूँ पर मैं उसकी तरफ़ थोड़ा आकर्षित होने लगा था..। उसकी वो आंखें बहुत कुछ कहना चाहतीं थी शायद...मैं उन्हीं आंखों पर अपना दिल हार बैठा था..।कभी अगर वो ना दिखतीं तो मन बैचेन होने लगता था..। एक आदत सी हो गई थी उसको देखने की..। 
मैं अपने घर पर सिर्फ सवेरे दस बजे तक ही होता था... उसके बाद सीधे रात को दस के बाद घर वापस आता था...। इसलिए हर रोज़ सवेरे एक चाह रख कर बालकनी में आता था कि आज वो दिख जाए..। ना जाने उसकी आँखों में क्या कशिश थी की उसे देखें बिना चैन नहीं मिलता था..। मैं दिन ब दिन उस के लिए बहुत ज्यादा ही सोचने लगा था..। मेरी आंखें हर पल बस उसको ही ढूंढती रहतीं थी..। ये प्यार था या सिर्फ आकर्षण मुझे नहीं पता.. लेकिन जो भी था बहुत खुशनुमा था..। 

ऐसे ही दिन निकलते गए.... मैं हर रोज़ की तरह बालकनी में बैठा था.. तभी मैने देखा वो लड़की अपनी दुपहिया वाहन से कहीं जाने की तैयारी कर रहीं थी..। मैने आव देखा ना ताव और झट से अपनी बाईक निकाली और उसके पीछे चल दिया..। कुछ दूरी तक जाने के बाद मैनें पीछे से उसे आवाज दी और रुकने को बोला..। वो अपने वाहन को किनारे पर खड़ा करके रुक गई..। मैं उसके करीब गया और हिम्मत करके अपना परिचय देते हुवे हाथ बढ़ाया ..। उसने भी अपना हाथ बढ़ाया और कहा:- जी कहिये.... आपने मुझे रोका क्यूँ हैं..। 
मैं ये मौका हाथ से जाने नहीं दे सकता था... इसलिए तुरंत पुछ बैठा :- आप हमेशा अपना चेहरा ढककर क्यूँ रखतीं हैं...। बाहर तो समझ में आता हैं पर अपने घर पर भी..! क्या आपके घर पर किसी को कोई गंभीर बिमारी हैं क्या... जिसकी वजह से..? 
वो मेरी बात बीच में काटती हुई बोली:- अरे नहीं जी.... मेरे घर पर सभी एक दम स्वस्थ हैं..। किसी को कोई बिमारी नहीं हैं..। रहीं बात चेहरे को ढकने की तो ये मेरी मजबूरी हैं..। क्योंकि मैं नहीं चाहतीं कोई मुझे देखकर डर जाए..। 
मैं कुछ समझा नही और बोला:- डर जाए... क्या मतलब... ? 
वो बोली:- पहले तो ये बताईये आप इतना क्यूँ जानना चाहते हैं मेरे बारे में..? 
राजेश:- देखिए... बहुत समय बाद मुझे मौका मिला हैं आपसे बात करने का... मैं हर रोज़ आपको बालकनी से देखता था.. मुझे नहीं पता मैं सही हूँ या गलत..। लेकिन मैं घुमा फिरा कर बात नहीं करुंगा..। मुझे नहीं पता आप फिर कभी मुझसे बात करेंगी भी या नहीं...। पर सच तो ये हैं की मैं आपके बारे में सब कुछ जानना चाहता हूँ.... क्योंकि मैं आपको प्यार करने लगा हूँ..। 
मेरी बात सुनते ही वो खिलखिला कर जोर जोर से हंसने लगी..। 
फिर कुछ देर बाद बोली:- प्यार.... बिना शक्ल देखें प्यार...। अच्छा मजाक हैं..। 
मैं बोला:- मजाक नही हैं.. और कहाँ लिखा हैं की प्यार शक्ल देख कर किया जाता हैं... मैं तो बस आपकी इन आँखों पर अपना दिल दे चुका हूँ..। प्लीज मुझे गलत मत समझिये.. जिस दिन आप नहीं दिखतीं... मन बहुत बैचेन हो जाता हैं.. किसी काम में मन नहीं लगता हैं... कुछ अच्छा नहीं लगता हैं.. ये प्यार नहीं तो क्या हैं..। 
वो फिर से हंसने लगीं और बोली:- ओहह तो ये बात हैं... लेकिन मैं गारंटी देतीं हूँ.... आपका ये प्यार.... कुछ मिनटों में ही अभी.... यहीं घुम हो जाएगा..। 
ऐसा कहकर वो अपने चेहरे पर ढका हुआ कपड़ा खोलने लगी..। 
मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ की आज उसकों फाइनली देख पाऊंगा..। 

जैसे ही उसका कपड़ा पूरा हटा... मैने अपनी नजरें फेर ली... मैं देख ही नहीं पाया...। 
उसका आंखों से नीचे का पूरा चेहरा जला हुआ था... बहुत बुरी तरह से जला हुआ था..। 

उसने मुझे ऐसे देख फिर से अपना चेहरा ढक दिया और कहा:- क्यूँ मिस्टर... हो गया ना प्यार घुम..। मैं जानती थी.... ऐसा ही होगा...। 
दिल की... आंखों की.... नजरों की... बात भले ही करता हो जमाना... पर प्यार तो आज भी सूरत देखकर ही किया जाता हैं..। 

ऐसा कहकर वो वहां से चलीं गई... मैं उस वक़्त कुछ भी समझ नहीं पा रहा था..। मैं वापस अपने घर आ गया..। 
कई दिनों तक उसको ना देखने के लिए बालकनी में जाना छोड़ दिया..। बहुत कोशिश की उसको भूल जाउं.. उसके बारे में ना सोचूँ..। लाख जतन कर लिए... पर कामयाब नहीं हुआ... दिमाग कुछ भी कर ले... पर दिल तो उससे लग चुका था.... और उसे इसी हाल में अपनाने को तैयार था..। मैने हिम्मत करके अपने माता पिता से बात की और उनकी रजामंदी के बाद.... मैं उसके घर चला गया... और उसके परिवार वालों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा..। 

उन लोगों ने और खुद अंजली ने भी मुझे बहुत समझाने की कोशिश की पर मैं सच में उससे प्यार कर बैठा था..। 

आखिर कार मेरी जिद्द और प्यार के आगे सबको झुकना पड़ा और कुछ महीनों बाद ही हमारी शादी करवा दी गई..। 

उसके बारे में जानकर पता चला की उसका चेहरा दिवाली में अपने परिवार के साथ पटाखे जलाते हुए... आग लगने की वजह से जल गया था...। इसलिए वो पटाखों की आवाज से भी डर जाती थी... इसलिए उसके पिताजी ने पड़ोस में सभी को पटाखे जलाने के लिए मना किया हुआ था..। 

शादी के बाद मैने उसका ये डर भी खत्म कर दिया और अब हम सब साथ में दिवाली पर पटाखे जलाते हैं..। उसका चेहरा ढकना भी बंद करवा दिया था..। वो मेरे साथ हर जगह बिना चेहरा ढके हुवे चलतीं थीं...। अगर किसी को तकलीफ हैं तो वो अपनी नज़र फेऱ ले...। लोगों की वजह से वो क्यूँ अपने आप को ढके..। 


भले ही लोग करते होंगे प्यार.... शक्ल और सूरत देख कर... पर मैनें प्यार किया सिर्फ उसकी उन आंखों से...। 
आज मैं बहुत खुश हूँ उसकों अपनाकर...। 

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प्यार को प्रस्तुत करतीं एक मार्मिक कहानी..।

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