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कांसर घंटा

1 मार्च 2022

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1 मार्च 2022
   मंगलवार
समय-11:41

मेरी प्यारी सखी,
            अनजान शहर होने के कारण हम शिव मंदिर की तलाश में भटक रहे थे। राह में पूछते हुए जा रहे थे कि शिव मंदिर कहां मिल सकता है।
                       भटकते-भटकते एक दुकानदार से पता चला कि हमें मार्ग में एक मंदिर मिल सकता है।
                                            चलते-चलते हमें एक मंदिर मिला। लेकिन वहां तो लक्ष्मी जी और कार्तिक जी की प्रतिमाएं थी। पुजारी जी से पूछने पर उन्होंने बताया कि यही हम शिवजी को पुष्पांजलि दे सकते हैं।
                           मन को अपार हर्ष हुआ। हम चारों ने वहीं पुष्पांजलि अर्पित की। वापस आते समय हमने देखा पुजारी जी ने आरती आरंभ कर दी।
                                  वही पास ही कांसर घंटे बज रहे थे। देख कर अचम्भा हुआ ये स्वचालित वाद्य यंत्र थे। स्विच ऑन करते ही तबला, बांसुरी, हारमोनियम बजने लगता है।
                                              एकाएक हम देखते ही हस पड़े। पर ये सब वहां उपयुक्त है जहां इतने लोग उपस्थित नहीं हो सकते।
                  अभी के लिए इतना ही।
                              शुभरात्रि



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रचनाएँ
मेरे विचार
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मेरे विचार का समुद्र मंथन
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शिव रात्रि की शुभकामनाएं

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1 मार्च 2022 मंगलवार समय-09:05मेरी प्यारी सखी, समय तो मानो दौड़ता भागता जा रहा है। आज साल का तीसरा महीना भी आरंभ हो चुका है। &nbsp

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8 मार्च 2022 मंगलवार समय-09:40(रात) मेरी प्यारी सखी, जब हाथ में मोबाइल लिया और मोबाइल में whatsapp खोला

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अश्रु

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15 मार्च 2022 मंगलवार समय- 11:00 (रात) मेरी प्यारी सखी,सवेरे सवेरे ही बहुत भाग दौड़ हो गई। कारण था घर में सांप का निकलना। वैसे तो पतिदेव और बेटी उसे निकालने के लिए पुरजोर

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17 मार्च 2022 गुरुवार समय - 12:20(दोपहर)मेरी प्यारी सखी, एक चिड़िया के बच्चे चार,

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18 मार्च 2022
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20 मार्च 2022 रविवार समय- 05:15मेरी प्यारी सखी, सुबह से ही भाग दौड़, साफ सफाई का दौर चलते चलते अब जाकर बैठने का थोड़ा समय मिला है। कई बार काम की अधिकता के का

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21 मार्च 2022 सोमवार समय- 11:45 मेरी प्यारी सखी,कई बार हमारे देश की अजीब स्थिति देख कर मन में अजीब सी उलझन पैदा हो जाती है। हमारे देश की प्रतिभा को हम भुनाने की अपे

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22 मार्च 2022 मंगलवार समय- 11:45(रात)मेरी प्यारी सखी,हम सब सीखते कुछ है और उसे व्यवहार जीवन में कुछ और ही तरह से प्रयोग में लाते हैं। बचपन में जब भी मैं विवाद या निबन्ध लिखती थी, जल स

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नाम के काम

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कब तक

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नवजीवन का बीज लिएचलता रहता मन पल पल ह्रदय से उच्छवास स्तर तक क्षणभंगुर यह जीवन... आखिर कब तक।।

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स्वप्न

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सपने कभी चुरा लेते हैं आंखों से निंदिया ही।कभी बरबस आंखों से ही बहने लगते हैं दफन होकर।।

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30 मार्च 2022
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30 मार्च 2022 बुधवार समय 8:40 (रात)मेरी प्यारी सखी, आज बहुत दिनों बाद तुमसे बात करने का मौका मिला। असल में कारण यह है कि‌ हमारे घर में छोटा सा नन्हा म

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