1 मार्च 2022
मंगलवार
समय-09:05
मेरी प्यारी सखी,
समय तो मानो दौड़ता भागता जा रहा है। आज साल का तीसरा महीना भी आरंभ हो चुका है।
आज ऐसा दूसरी बार हुआ है जब शिवरात्रि के मौके पर मैं घर से दूर हूं। शिवरात्रि अर्थात बहुत सारी अल्पना ए कल्पनाएं भगवान की भक्ति में मन।
इससे पहले शिवरात्रि के 2 दिन पहले बेटे का जन्म हुआ था। उस समय में अस्पताल में थी और आज जब हम यात्रा पर निकले हैं और आज शिवरात्रि है।
मैंने बिल्कुल ध्यान ही नहीं दिया कि हमारी यात्रा के दौरान बीच में शिवरात्रि का दिन भी आ जाएगा। अन्यथा मैं आगे पीछे यात्रा करवा लेती।
लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है। हम अब सब तैयार होकर शिव मंदिर की तलाश में निकल रहे है। कल ही पतिदेव ने आज के लिए कह दिया था कि शिव मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद अपना व्रत तोड़ देना है।
हालाकी मेरे लिए यह बहुत ह्रदय विदारक है क्योंकि मैं शिवरात्रि के दिन विशेष उत्साहित रहती हूॅं। लेकिन क्या करें सही बात है यात्रा के दौरान उपवास करना बहुत मुश्किल हो जाता है। खुद भी परेशान परिवार को भी परेशान करने वाली बातें हो जाती हैं।
बस अब निकल रहे हैं शिव मंदिर की तलाश में। आज का दिन समस्त शिव भक्तों के लिए विशेष उत्साह का रहता है। शिव हम सबके पालन हार है, जनक है। एक विश्वास एक आस्था है।
शिव हम सब पर अपना आशीष बनाए रखें। इसी आशा के साथ यहां अपने लेखन को विराम देती हूॅं।
पापिया