10 मार्च 2022
गुरुवार
समय- 10:45 (रात)
मेरी प्यारी सखी,
ना जाने ऐसा कब होगा कि जब शिक्षित लोगों के पास पढ़ाई की डिग्री के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी भरपूर मिलेगा। अभी देखो ना 2 दिन पहले जब हम यात्रा पर थे कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिससे एक बार फिर मन सोचने को विवश हो गया।
सखी तुम्हें तो पता ही है यहां वहां कचरा डालने के मैं सख्त विरोधी हूॅं। मैं ही क्या बच्चे भी।
तो हुआ यूं कि हम स्टिमर में यात्रा कर रहे थे। सभी अपनी अपनी सीटों पर बैठे थे। तभी एक चाय वाला चाय चाय की आवाज लगाने लगा। कई लोगों ने उसे पैसे देकर चाय खरीदी। यात्रा करते करते चाय का भी मजा लेने लगे। अचानक एक व्यक्ति ने चाय पीकर डिस्पोजल गिलास अपने बेटे के हाथ में पकड़ाई। बेटे ने आव देखा ना ताव तुरंत उसे पानी में फेंक दिया।
मुझे गुस्सा तो बहुत आया। मन किया उस बच्चे को जाकर एक जोर से थप्पड़ लगाऊं। लेकिन पति ने हाथ पकड़ लिया, कहा तुम उसे समझाने जाओगी उल्टे उसके पिता तुम ही पर बरस पड़ेंगे।
सिर्फ नए कपड़े पहनने से कुछ नहीं होता जब तक हम प्रकृति की सार संभाल न कर सके। आज जहां धरती प्लास्टिक के बोर से दब रही है हमारा एक छोटा सा प्रयास सार्थक परिवर्तन ला सकता है।
समाचार पत्र, मीडिया, नेट आदि के जरिए हम इस प्रकार के बातों को समझाते हुए प्रदूषण को बढ़ने से रोकने का प्रयास कर सकते हैं।
हमारा एक छोटा सा प्रयास बहुत कुछ बदल सकता है और फिर शायद यही उम्मीद तो है जिसके जरिए हम अपने कार्यों की परिणति तक पहुंच सकते हैं।
आज के लिए यही तक।
शुभरात्रि।
लेखिका
पापिया