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मैं एक लेखक हु..? ये सवाल मैं हर रोज ख़ुद से पूछता हु

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Anup gajare की डायरी

Anup gajare की डायरी

ये एक डायरी है

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Anup gajare की डायरी

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वो..चीखें ( एक अंधकार  )

वो..चीखें ( एक अंधकार )

उस थंडी हवा के शहर मे छुट्टियां मनाने वो दोनों आते है। जंगल के पास वाली पुरानी हवेली में वो रुकते है.., आखिर पहली बार यही तो वो दोनों मिले थे। कुछ दिन अच्छे बितने के बाद जंगल के उस सुनसान अंधियारी जगह से लड़की को कुछ अजीब सी आवाजे सुनाई देती है, पर

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वो..चीखें ( एक अंधकार  )

वो..चीखें ( एक अंधकार )

उस थंडी हवा के शहर मे छुट्टियां मनाने वो दोनों आते है। जंगल के पास वाली पुरानी हवेली में वो रुकते है.., आखिर पहली बार यही तो वो दोनों मिले थे। कुछ दिन अच्छे बितने के बाद जंगल के उस सुनसान अंधियारी जगह से लड़की को कुछ अजीब सी आवाजे सुनाई देती है, पर

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अनुभव

अनुभव

ये पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जीवन;...मृत्यु; के बिच जो एक बहती हुई अनंत रेषा होती है इसके बारे मे भी ये कहानियां कुछ बोलती है। ये कोई मत, उपदेश, या किसी भी तरह का तत्वज्ञान नहीं ये सिर्फ बोलना है। कुछ पात्र आती हुई मुश्क़िलों का सामना

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अनुभव

अनुभव

ये पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जीवन;...मृत्यु; के बिच जो एक बहती हुई अनंत रेषा होती है इसके बारे मे भी ये कहानियां कुछ बोलती है। ये कोई मत, उपदेश, या किसी भी तरह का तत्वज्ञान नहीं ये सिर्फ बोलना है। कुछ पात्र आती हुई मुश्क़िलों का सामना

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राह..(एक चलती हुई कविता)

राह..(एक चलती हुई कविता)

एक कविता जो चलती है। खाती है ठोकर भी गिरती है.. फिर उठती है। एक नई नजर लेकर अपना सबकुछ खोकर उस खोने मे सबकुछ पा कर। वो चलती रहती है.. उस आदिम अनंत 'राह' पर। पर वो कभी रुकती नहीं.. एक चलती हुई कविता, चलती रहती है...

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राह..(एक चलती हुई कविता)

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एक कविता जो चलती है। खाती है ठोकर भी गिरती है.. फिर उठती है। एक नई नजर लेकर अपना सबकुछ खोकर उस खोने मे सबकुछ पा कर। वो चलती रहती है.. उस आदिम अनंत 'राह' पर। पर वो कभी रुकती नहीं.. एक चलती हुई कविता, चलती रहती है...

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"एक शहर की मौत"

"एक शहर की मौत"

अपना कस्बा छोड़ मैं शहर की तरफ आया। वहाँ एक मकान खरीदकर रहने लगा हा मकान ही था वो घर नहीं था, घर बनता है उसके अंदर बसने वाले लोगों से और एक पत्नी नाम की औरत से। उसके साथ कोई भी नहीं है, वो पूरी तरीके से उस अजनबी शहर में अकेला है। और दम तोड़ता शहर

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अपना कस्बा छोड़ मैं शहर की तरफ आया। वहाँ एक मकान खरीदकर रहने लगा हा मकान ही था वो घर नहीं था, घर बनता है उसके अंदर बसने वाले लोगों से और एक पत्नी नाम की औरत से। उसके साथ कोई भी नहीं है, वो पूरी तरीके से उस अजनबी शहर में अकेला है। और दम तोड़ता शहर

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अनि (एक दीवाना)

अनि (एक दीवाना)

अनि और रवि दोनों बचपन से दोस्त है। दोनों भी एक अनाथआश्रम मे पल रहे होते है।रवि को एक पुलिसवाला गोद लेकर जाताl और अनि इस बडी कायनात मे अकेला ही रह जाता है। बहोत समय बीतने के बाद अनि और रवि फिर मिलते है। इनके मिलने का कारण एक लडकी बनती है। और उसी वक

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अनि और रवि दोनों बचपन से दोस्त है। दोनों भी एक अनाथआश्रम मे पल रहे होते है।रवि को एक पुलिसवाला गोद लेकर जाताl और अनि इस बडी कायनात मे अकेला ही रह जाता है। बहोत समय बीतने के बाद अनि और रवि फिर मिलते है। इनके मिलने का कारण एक लडकी बनती है। और उसी वक

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एक शहरी बडे हॉस्पिटल के अंदर:

22 सितम्बर 2022
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ICU रूम...  Icu वार्ड की नर्स, काफी सारी नर्स इधर से उधर आ जा रही है। बेड पर जो व्यक्ति लेटा पडा है वो पिछले पाँच दिनों से होश मे नहीं आया है। सारे डॉक्टर अपनी पूरी कोशिश कर रहे है की वो होश मे जल्दी

दीवार

10 जून 2022
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ये कहानी उस दौर की है जब दुनिया पूरी तरहा से तहस नहस हो गई थी। दुनिया मे प्रलय आने के लिए कोई भी दैवी शक्ति जिम्मेदार नहीं थी। ये तो हमारी ही भूख बहोत बढ गई थी, और चाहिए, और चाहिए की भ

भय

9 जून 2022
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बारिश हो रही थी बहोत तेज बारिश। वो बरसात की रात थी। शहर से बाहर दूर एक खेत मे सुनील राधा के साथ गया था। सुनील अपने गाव मे कॉलेज की छुट्टीया मनाने आया था। और फिर वो राधा से मिला। र

मेरी दुनिया

22 मई 2022
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पिछले कहीं दिनों से दर्द ने मेरी कमर किराये पर ली है। जब मै सुबह उठता हु तो दर्द खोली मे नहीं होता है। उसका कुछ बिखरा हुवा सामान होता है। जो मुझे महसूस करता रहता है की दर्द फिलहाल तो कमरे मे नहीं है प

मुचकुंद

28 अप्रैल 2022
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"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

मुचकुंद

28 अप्रैल 2022
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"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

नाश्ते की पंगत.

28 अप्रैल 2022
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शाम और रात के बिच का जो समय होता है ठिक उसी समय अजित उस जगह पर पोहचा। उसे छोड़कर पगडंडी के धूल भरे रास्ते से वो बाइक चली गई जिसने उसे लिफ्ट दी थी, अपना मार्ग टेड़ा कर के लिफ्ट देने वाला वो सज्जन

ऋतु रूंधन

28 अप्रैल 2022
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वेलु नामका एक छोटासा तालुका, आसपास जंगल का ईलाका वहाँ सबकुछ था! था! हा था! एक सिनेमा टाकी. एक नगर परिषद, एक इतिहास कालीन छोटा कॉलेज कॉलेज में बहोत से पेड़, पौधें.अनेक वृक्ष वो सब कॉलेज

नश्वर मृत्यु

28 अप्रैल 2022
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बड़ा पहाड़ उतर कर वो शहर तक आया. रेगिस्तानी शहर बहोत फैला हुवा नहीं था लेकिन ठिक ठाक था, वहाँ का राजा एक शिस्त प्रिय सा इंसान था इसलिए उसने राजा बनते ही शहर का सारा कचरा साफ किया, और एक रुका हुवा फैसल

अपना घर और...?

27 अप्रैल 2022
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आज कुसुम बहोत खुश थी, घर की साफ- सफाई हो गई थी दीवारों पे नया रंग लगा था, दरवाजो पर फूलो के हार, और आंगन मे रंगोली बनी थी। कुसुम को देखने आज विनयबाबू आ रहें थे। वो दोपहर को आ गये, उनको कच्ची

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