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नश्वर मृत्यु

28 अप्रैल 2022

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बड़ा पहाड़ उतर कर वो शहर तक आया. रेगिस्तानी शहर बहोत फैला हुवा नहीं था लेकिन ठिक ठाक था, वहाँ का राजा एक शिस्त प्रिय सा इंसान था इसलिए उसने राजा बनते ही शहर का सारा कचरा साफ किया, और एक रुका हुवा फैसले का मसला था करीब अस्सी सालों से वो फैसला रुका हुवा था वो सुलझा दिया, और शहर के कब्रिस्तान मे जहाँ उस प्रवासी को जाना था जो अभी पहाड़ उतर के आया था वो कब्रिस्तान भी पेड़ लगा कर हरा भरा कर दिया,उस प्रवासी ने राजा के बारे मे कुछ ऐसा ही सुना था. 

प्रवासी एक संन्यासी था. 

भिक्षा मांगकर खानेवाला एक संन्यासी. उसे राजा से एक काम भी था एक बहोत बड़ा काम,उसके पास कल्पवृक्ष के बीज थे जो उसे राजा को देने थे. 
फिर प्रवासी दिनभर भटका, लेकिन बहोत कम लोगों ने दरवाज़ा खोला, और उससे भी कम लोगों ने दरवाज़ा खोलकर भीख दी. 
इस भटकाव मे एक अजीब बात उसे समज आई की शहर के बहोत से लोग देख नहीं सकते थे उनकी आँखे नहीं थी आँखों की जगह दो खड्डे थे दो खोपड़ी जैसे गहरे खड्डे. 
तो कुछ लोगों के कान बिल्ली जैसे खड़े थे लेकिन वो कुछ सुन नहीं सकते थे,और कुछ लोग बोल नहीं सकते थे. 
सुबह भी पहाड़ उतरते वक़्त उसे एक पत्रकार मिला था वो बोल नहीं सकता था उसके मुख मे जबान ही नहीं थी किसी ने काट ली थी, शायद किसी अपराधी का काम हो
लेकिन उसकी कलम बोलती थी उसने संन्यासी से बाते की बहोत सी बाते उसकी बातों के पीछे एक डर था वो बहोत ही तोलमाप के बोल रही थी. 

शाम का वक़्त 
संन्यासी राजा के पास पहुँचा और उसे वो बीज दे दिए
राजा ने उन् बीजों को ध्यान से देखा उनमे बिलकुल जान नजर नहीं आ रही थी. 
"ठिक से सभल के पकड़ो राजवर्, ये कोई मामूली बीज नहीं है, इन्हें सुबह तक अपने हाथ मे ही रखना थोड़ा भी नीचे मत रखना नहीं तो ये निष्क्रिय हो जायेंगे"
क्या? मै समजा नहीं मुनिवर! 
रात भर ये बीज आपके शरीर मेंसे आपकी जीवन शक्ति शोष लेंगे जैसे मछर थोड़ा सा खून लेते है वैसे ही इन्हे जीवित रहने के लिए थोड़ी सी जीवन शक्ति चाहिए होती है! 
"और एक बात मैं ये बीज आपको क्यू दे रहा हु पता है"? 
" नहीं "
क्युकि आपके राज्य मे एक बड़ा सा कब्रिस्तान है ", लेकिन उसमे मनुष्य नहीं पक्षी दफन है! 
पक्षियोका एक बड़ा सा कब्रिस्तान! है ना? 
" एक इसी बात के लिए मै यहाँ आया हु, पता है आपको कितने ब्रह्मण्ड ढूंढे मैनें लेकिन ऐसी जगह मुझे कही न मिली ", आपके पहले जो राजा था वो बिलकुल बात नहीं करता था ना? 
हा हमारे दादाजी थे वो एक डायन ही उनका सारा राज्य कारभार देखती थी,और वही बताती की उन्हें क्या करना है"! 
"हा ऐसा ही एक राज्य चाहिए था जिसका पूर्व राजा मौन हो और बाद का राजा न्यायी ", और हा एक ऐसी जमीन मुझे चाहिए थी जिसपर कभी मनुष्य की मृत्यू ना हुई हो, आपके शहर मे तो अबतक किसीकी मृत्यू नहीं हुई है, आपके यहाँ मनुष्य की संख्या ज्यादा ना बढ जाए इसलिए आप अलग अलग ब्रह्मांडो मे आपके यहाँ से मनुष्य भेजते रहते हो!! 
" हा एक सीमा रहती है, नहीं तो यहाँ मनुष्य की प्रजाति असिमित हो जाती "
तो यहाँ अबतक किसी की मृत्यू नहीं हुई है? 
"नहीं मुनिवर यहाँ कोई भी मरा नहीं है और ना ही मरेगा ".

सुबहा हो गई... 

शहर के कुछ लोग, संन्यासी, राजा 
बीज दफन करने के लिए वहाँ खड़े है, जहाँ कल् बहोत सारे पेड़ थे ,बीज दफन करने के लिए राजा ने रात को सब कटवा दिए
अब वहाँ कल्पवृक्ष लगेंगे, हजारों कल्पवृक्ष! 
संन्यासी वो बीज जमीन में डालने ही वाला था की... 
एक आवाज़ आई रुको कुछ भी योग्य नहीं है, ना राजा, ना यहाँ के लोग... वो पत्रकार की कलम थी वो एक सैनिक के हाथ मे थी जो बिलकुल पढ़ा लिखा नहीं था
सैनिक बोला पत्रकार की मृत्यू हो गई है, कल् रात को पत्रकार मृत्यू दूतों के साथ दारू पी रहा था और वहाँ उसे एक वाक्य उन् दूतों ने बताया शायद वो वाक्य सुनते ही उसकी मृत्यू हो गई, वो वाक्य कलम को पता है यही सुनायेगी... 
सिर्फ मृत्यू ही नश्वर है!!! 
और दुःख अटल है!!! 
कलम ने सुना दिया... 

ये सुनते ही संन्यासी ने अपना हाथ पीछे लिया और वो बीज झोली मे वापस रख दिये
अरे नहीं नही.. वो पत्रकार हमारे दुनिया का नहीं था! इसलिए वो मर् गया, हमारे यहाँ कोई नहीं मरता आप पड़ताल कीजिये!! "
पड़ताल हो चुकी है राजन तुम् ढोगी, मतलबी, और लालची हो, इन बीजों को लेकर मुझे ब्रह्मांड के ऐसे कोने मे जाना होंगा जहाँ मृत्यू ने अबतक कदम ना रखा हो!! 

ऐसा बोलकर वो संन्यासी दूर के प्रवास के लिए निकल गया, राजा और कुछ लोग उसकी पीठ बहोत देर तक देखते रहे... 
और मन ही मन सोचते रहे, ये मृत्यू कैसी दिखती होंगी
ये सोचते हुए सब कलम को घूर रहे थे. 

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रचनाएँ
अनुभव
5.0
ये पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जीवन;...मृत्यु; के बिच जो एक बहती हुई अनंत रेषा होती है इसके बारे मे भी ये कहानियां कुछ बोलती है। ये कोई मत, उपदेश, या किसी भी तरह का तत्वज्ञान नहीं ये सिर्फ बोलना है। कुछ पात्र आती हुई मुश्क़िलों का सामना कर आगे बढ़ जाते है, तो कुछ समस्या को सुलझा ना पाने के कारण उन्हीं आफतो को लेकर इस अनंत रेषा पर चलते है। हर पल एक अनुभव है! आप अनुभव पैदा नही कर सकतें आप को उससे होकर गुजरना होता है..!
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