बारिश हो रही थी बहोत तेज बारिश।
वो बरसात की रात थी। शहर से बाहर दूर एक खेत मे सुनील राधा के साथ गया था।
सुनील अपने गाव मे कॉलेज की छुट्टीया मनाने आया था। और फिर वो राधा से मिला।
राधा किशन काका की छोटी बेटी थी।
उसके कॉलेज मे भी छुट्टी थी इसलिए वो घर आई थी।
तो बारीश अपने रौद्र रूप के चरम सीमा पर थी। अंधेरा अपने घनेपन की तरफ बढ रहा था।
राधा के चेहरे पर जरा भी डर नहीं था वो मजेसे बारीश को देख रही थी।
ये देख सुनील को कुछ अजीब ही लगा मतलब की अभी थोडी देर पहले जोरदार आवाज करती बिजली चार बार कड़की थी फिर भी राधा तस की मस नहीं हुई।
उस कड़कती बिजली से तो सुनील भी काप गया था।
तब राधा बहोत जोर से हँसी थी।
उसकी हँसी से सुनील अंदर से बुरी तरहा खीज गया था।
लेकिन उपर कुछ ना दिखाते हुए उसने राधा से कहा की राधा को डरना चाहिए।
किसी भी चीज से बचने के लिए डर बहोत जरूरी होता है।
"लेकिन क्यू डरना चाहिए वाय? जब हम उस चीज से लढ सकते है! मतलब लढना भी तो एक ऑप्शन है ना दिमाग के पास".. राधा ने सुनील की तरफ देखते हुए कहा।
" हर बार ये लढने का ऑप्शन काम नहीं करता है राधा, तुम्हें पता है मेरे साथ क्या हुवा था"? सुनील ने राधा की तरफ देखते हुए कहा।
राधा का चेहरा ऐैसा बना था की सुनील को अपनी कहानी उसे सुनानी चाहिए।
"तो ये कहानी है गलगला नाम के कब्रिस्तान की".. ये कहते हुए सुनील उसकी आपबीती राधा को सुनाने लगा।
गलगला कब्रिस्तान एक ऐैसी जगह थी जहा किसी की दिन मे भी फट जाए।
ये तब की बात है जब मैने कॉलेज मे न्यू अडमिशन लिया था। और पापा ने मुझे नई बाइक भी गिफ्ट करी थी।
तो मै मेरे दो दोस्तों के साथ puc मे गया।
तु तो जानती होगी ना puc के बारे मे तेरे कॉलेज के एकदम पास ही तो है वो हॉटेल।
तो वहा हम रात के ढाई बजे तक इंजॉय करते रहे।
फिर मैने अपनी बाइक निकाली उन दोनों को पीछे बैठाया उसके बाद जैसे की हम उड़ने ही लगे।
रास्ते मे वही हुवा जो होना नहीं चाहिए था।
उस गलगला कब्रिस्तान के पास ही हमारी गाडी बंद पड गई।
तो हम रूक गए इधर उधर देखने लगे की कोई हेल्प मिल जाए। लेकिन पूरी सडक खाली थी। एक भी गाडी वहा से होकर नहीं गुजर रही थी।
थोडी देर बाद हवा चलने लगी बारीश के दिनों मे जैसी हवा चलती है ठिक वैसी ही मतलब एकदम नॉर्मेल। बारीश आने से पहले जैसा मौसम होता है, हा बिलकुल वैसा ही मौसम अपना रुख बदल रहा था।
हम तीनों अभी भी उस बंद गाडी के पास खड़े थे। साथ सोच रहे थे की क्या किया जाए।
तभी मेरे दोस्त ने देखा की हमारी तरफ कोई चलते हुए आ रहा है।
अंधेरे मे ठिक से दिखाई नहीं दे रहा था की कौन है। मतलब लेडीज है या जेंट्स है कुछ समझ मे ही नहीं आ रहा था।
अंधेरे मे हमारी तरफ आती हुई वो काली स्याह आकृति लड़खडाते हुए चल रही थी।
उस चाल मे थोडी लगडाहट भी थी।
एक बात बहोत अच्छी थी की हम जहा खड़े थे। वहा एक बड़ा सा लोहे का पुराना खम्बा था। और उस खंबे पर टंगी हुई बाबा आदम के जमाने की लाइट अभी भी फुल स्पीड से चल रही थी।
वो काली स्याह आकृति जब रोशनी मे आई तब बारीश की पहली बूंद मेरे गाडी के पेट्रोल की टंकी पर टप आवाज करके गिरी।
उसके पीछे बारीश की हजारों बुँदे आसमान से भाले की तरहा गिरने लगी।
हम तीनों के सामने अब एक लडकी खडी थी। जिसने चेकस् का नीला शर्ट पहना था और काली जिन्स।
वो हमसे एकदो साल ही बड़ी लग रही थी।
अब गिरती हुई बारीश की बजह से उपर लटका बुढा लाइट मीच-मीच करने लगा था।
उस लडकी ने हमसे कहा की वो उसके दोस्त के साथ बाइक राइडिंग करने के लिए यहा तक आई थी। फिर उनकी भी गाडी बंद पड गई।
तो हमने उससे पूछा की तुम्हारा दोस्त कहा है?
तो उसने कहा की गाडी बंद पडने के बाद हम मदत के लिए इधर उधर भटक रहे थे। उसके बाद उन्हें गलगला कब्रिस्तान मे चमकती हुई रोशनी दिखी जो एक झोपड़े मेसे आ रही थी।
वो दोनों इस रोड से उस कब्रिस्तान मे जो खड़ी झोपड़ी थी वहा चलते हुए गए।
इसके बाद उस लडकी को कुछ भी याद नहीं था की उसके साथ क्या हुवा।
उस लडकी के गर्दन के पास और पाव मे बहोत ही गहरी चोटे लगी थी। उन चोटों पर खून जमा होके जम गया था।
इसीलिए वो लडकी चलते हुए थोडा लगडा रही थी।
उसे सबसे पहले हस्पताल लेकर जाना जरूरी था।
तो हमने उसे गाडी पर बिठाया।
अब बंद गाडी चल तो नहीं सकती थी इसलिए उसे बिठाकर दोनों बाजू का हैंडल पकड़े हुए हम धक्का मारे जा रहे थे।
लगभग दो किलोमीटर हमने धक्का मारा उसके बाद हम रुक गए।
सामने रोड के बीचोबीच एक सफेद कार खड़ी थी।
और उस कार के जलते हुए हेडलाईट से पाव टीकाकर एक लड़का खडा था जो उस लडकी के उमर का ही लग रहा था।
उसने कहा की इस लडकी को नीचे उतारो और अपनी बाइक चालू करके पीछे निकल जाओ।
वो लडका ऐैसा कह ही रहा था की वो लडकी झट से कुदती हुई बाइक से उतर गई.., और रोड़पर किसी चिपकलि की तरहा रेगते हुए उस लड़के की तरफ बढ़ने लगी। उस लडकी के शरीर से तब बदबुदार बास आ रही थी। लडकी की सासे बाहर की तरफ जोर जोर से चल रही थी।
मुझे कुछ भी नहीं सुझा मैंने उस लड़के की बात मानते हुए बाइक को जल्दी मे किक मारी।
हमारी गाडी चालू हो गई थी।
अब बहोत ही धुवाँधार बारीश चालू हो गई थी।
वो लडकी उस लड़के के शरीर पर बैठकर उसे नोच रही थी।
मैने गाडी इतनी तेज भगाई की तबतक कभी भी इतनी तेज गाडी मैंने नहीं भगाई थी।
और गाडी हॉस्टल की तरफ जो सडक जाती थी उसी दिशा मे भगाई थी।
"लेकिन उस लड़के ने तो कहा था की पीछे की तरफ गाडी भगाओ जहा से तुम आये थे"..? राधा ने सुनील से बीच मे ही पूछा।
"हा अगर उस तरफ जाते ना तो मैं तुमसे अभी बात नहीं कर रहा होता".. अब आगे सुनो ऐैसा कहते हुए सुनील उसे सुनाने लगा।
बाइक उस गीली सडक पर बहोत ही स्पीड से भाग रही थी। मतलब उसकी स्पीड सत्तर -अस्सी के पास होगी।
इतने मे वो सफेद कार हमारे पास आ ही गई।
मेरे दोस्त को लगा की वो सफेद कार उस धुवाँधार बारीश मे हमारे साथ भाग रही है।
लेकिन मैने ठिक से देखा वो कार नहीं थी वो वही लडकी थी काली पैंट नीले चेक शर्ट मे जिसकी गर्दन पर जख्म था।
वो हमारे बाइक के साथ भाग रही थी लगभग से सत्तर से अस्सी किलोमीटर की स्पीड पर वो नंगे पाव भाग रही थी।
उसके शरीर पर, वो शरीर था भी या नहीं पता नहीं उसपर तेज बारीश की सफेद धुवाँधार बुँदे गिर रही थी। इसलिए वो किसी भागती हुई कार की तरहा लग रही थी।
बाकी बारीकी से देखने पर उस सफेद रंग मे गाढ़ा नीला रंग दिखता।
जानती हो गाढ़ा नीला रंग क्यू दिख रहा था उस सफेद रंग मे?
"अरे राधा काला और नीला रंग जब मिल जाता है मतलब एकदूसरे मे घुल जाता है तो गाढ़ा नीला रंग बनता है".. सुनील ने राधा की तरफ देखते हुए कहा।
अब सुनील के अंतरमन को एक विकृति भरा सुकून मिल गया था।
क्युकी राधा के चेहरे पर साफ डर दिख रहा था।
सुनील जानता था की राधा को पेंटिग बनाना कितना पसंद है। इसलिए रंगो का सहारा लेकर उसने उसके मन मे डर का एक बिज बो दिया था।
क्रमश
"क्रमश"