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दीवार

10 जून 2022

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 ये कहानी उस दौर की है जब दुनिया पूरी तरहा से तहस नहस हो गई थी। 

दुनिया मे प्रलय आने के लिए कोई भी दैवी शक्ति जिम्मेदार नहीं थी। 

ये तो हमारी ही भूख बहोत बढ गई थी, और चाहिए, और चाहिए की भूख। 

हा हमारा लालच ही इसका कारण था। के दुनिया के कुछ हिस्से तो अब रहने लायक भी नहीं बचे थे। 

वो भारत का छोटासा शहर था। 

जहा शिव रहता था। उसकी उम्र करीब बीस साल के आसपास थी। 

शिव को घूमने का बहोत शौक था। अपने शहर की हर गली, हर नुक्कड़ उसे पत्ता था। 

वो पूरे शहर मे घूमता। 

दरसल उस शहर के बाहर की दुनिया शिव ने कभी देखी ही नहीं थी। उसे तो लगता की उसका शहर ही एक बहोत बडी दुनिया है। 

शिव उस जनरेशन से था जो प्रलय के सत्तर साल बाद की पिढी थी। 

शिव के माँ-बाप छोड़ीये उसके दादा के पिता भी इस शहर से बाहर नहीं गए थे। 

उसका कारण था के शहर के चारों तरफ एक दीवार थी जो सिर्फ पाँच फुट उची थी। उसका गेट भी बहोत बडा नहीं था। 

फिर भी उस दीवार के दुसरी और उसे लांघकर कोई नहीं गया था। 

शहर के लोगों का मानना था की दीवार के दुसरी तरफ एक बहोत बडा तालाब है। उस तालाब की गहराई अनंत है। 

वो तालाब बना ही था एक उल्कापिंड गिरने से इसलिए उसकी गहराई नापना बहोत कठीण है। 

उस तालाब मे वो रहता है जिसका नाम भी शहर के लोग अपनी जुबान से कभी नहीं लेते। 

लेकिन जिस चाय की टपरी पर शिव रोज बैठता था वहा वसंत ने उसे बताया की उस तालाब मे जो रहता है ना उसका नाम..., 'कोकड' है। 

बस्स.. वसंत ने कोकड शब्द कहने की देरी थी। के वहा बैठे सभी लोग डरकर अपने इर्द-गिर्द देखने लगे। 

वहा ऐैसी माण्याता थी की ये कोकड शब्द कहते ही उस आदमी को वो चीज कुछ दिनों के अंदर उस तालाब मे घसीटकर ले जाती है। 

सब वसंता के लिए डर रहे थे की अब उसे कोई नहीं बचा सकता। 

लेकिन अब शिव को कोकड शब्द मालूम पड़ गया था। 

और ये वही वक्त था जब शिव को ये इच्छा हुई की दीवार के उसपार जो दुनिया है उसे वो अपनी आँखों से देखे। 

किसी कोकड नाम की चीज से घबराकर वो पूरी जिंदगी इस शहर मे नहीं गुजरना चाहता था। 

इसीलिए शिव उस पहाड़ पर चढ गया। 

इस शहर मे एक पहाड़ों की लाइन थी जो काफी उचे तो नहीं थे बस ठिक ठाक थे। 

जिस पहाड़ पर शिव चढ गया था उस पहाड़ की गुफा मे मल्लू नामका एक विक्षिप्त आदमी रहता था। 

मल्लू की उम्र कितनी थी ये शहर मे कोई भी नहीं जानता था। बहोत सालों से मल्लू उस गुफा मे ध्यान साधना कर रहा था। 

वसंता ने ही शिव से कहा की मल्लू कोकड के बारे मे सब जानता है। उससे जाकर पूछो की उस कोकड से कैसे बचा जा सकता है। 

मल्लू ने शिव से कहा की बहोत सी प्रेतआत्मा वो ने एक बडे से मगरमछ का मरा हुवा शरीर कब्जे मे लिया है। और उसी चीज को तुम सब कोकड कहते हो। 

डरने की बात ये है की वो मगरमच्छ तीस फिट से भी ज्यादा लंबा था। अब उन बुरी शक्तियों ने उसे अपना घर बना रखा है। ये बुरी प्रेतआत्माये इस समय की नहीं है बल्कि प्रलय से पहले जो दुनिया थी उस वक्त की ये आत्माये है। 

और कोई प्रेतआत्मा जीतनी पुरानी हो जाती है उतनी ही उसकी ताकद बढ़ती जाती है। 

मल्लू से ये सब जानकारी लेकर शिव वापस आया था। 

इस वक्त शिव उसी पाच फुट की दीवार पर खडा था जो शहर की रक्षा ढाल थी। 

शिव ने एकबार शहर को मुड़ के देखा और वो दुसरी तरफ कूद गया। 

उसके पीठ पर लंबे सफर के लिए एक बॅग लटकी हुई थी। 

दुसरी तरफ आने के बाद उसने देखा की सामने वो हरा तालाब है। जिसमे पूरे शहर का कोकड नामका डर रहता है। 

वो तालाब के पास गया और उसने आवाज लगाई.., कोकड ss.. कोकड.. Ss. कोकड.. Sss

वो आवाज लगाता गया। 

क्युकी उसे पता था की उस तालाब के अंदर कुछ भी नहीं है। 

ये कोकड नामका डर तो सरकार ने तयार किया है लोगों के मन मे दिलो दिमाग मे। 

ये डर सरकार को बनाना पडा क्युकी लोग प्रलय के बाद किसी की बात नहीं सुन रहे थे। 

उनके भीतर कोई भी डर नहीं रहा। 

तो सरकार ने इस कोकड नामके दानव को जन्म दिया। 

अब लोग डिसिप्लिन मे उस दीवार के अंदर ही रहते है। 

ये बात मल्लू ने शिव को बताई थी। 

थोडी देर बाद शिव ने उस तालाब मे पेशाब भी की। 

और वो अपने सफर के लिए निकल गया। 



इस घटना के ठिक दस साल बाद शिव अपने शहर लौट आया जहा से दीवार कूदकर वो सफर के लिए निकल गया था। 

उसने देखा की जिस दीवार से वो नीचे कुदा था वहा अब वो दीवार नहीं थी। 

दीवार क्या उसका शहर ही वहा नहीं था। वहा था सिर्फ खंडर। 

वो सारा शहर घुमा। सिवाय कंकालो के उसे वहा कुछ भी न मिला। 

उसने वो पहाड़ फिर से चढ़ा जहा मल्लू रहता था। 

उस गुफा मे मल्लू था। अब उसकी दाड़ी घुटने तक बढ गई थी। 

शिव को देखते ही मल्लू उसे गालिया देने लगा। 

जब शिव ने पूछा की वो ऐैसा क्यू कर रहा है? 

तो उसने कहा की ध्यान मे उसने सबकुछ देखा था की किस तरहा शिव यहा से अपने सफर पे जाते वक्त उस तालाब मे मुता था। 

और शिव ने कितनी आवाजे उस कोकड को लगाई थी। 

इसका परिणाम ये हुवा के शिव के यहा से जाने के बाद वो कोकड शहर मे आया था। 

"लेकिन तुमने कहा था की कोकड नामकी कोई भी चीज इस दुनिया मे है नहीं बस सरकार ने डर फैलाने के लिए इसका निर्माण किया है"! 

" मैने ये बात जब तुमसे कहीं थी तो मै भाग के नशे मे था "..! 

मल्लू की ये बात सुनते ही शहर मे बसने वाला सारा डर शिव के दिलो दिमाग पर छाने लगा था। 

वो गुफा के दरवाजे से उस टूटी हुई दीवार को देख रहा था। जो कभी इस खंडर की सुरक्षा करती थी। 

  

                                 "क्रमश"

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