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अनुभव

Anup ashok gajare

13 अध्याय
-1 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
3 पाठक
28 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

ये पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जीवन;...मृत्यु; के बिच जो एक बहती हुई अनंत रेषा होती है इसके बारे मे भी ये कहानियां कुछ बोलती है। ये कोई मत, उपदेश, या किसी भी तरह का तत्वज्ञान नहीं ये सिर्फ बोलना है। कुछ पात्र आती हुई मुश्क़िलों का सामना कर आगे बढ़ जाते है, तो कुछ समस्या को सुलझा ना पाने के कारण उन्हीं आफतो को लेकर इस अनंत रेषा पर चलते है। हर पल एक अनुभव है! आप अनुभव पैदा नही कर सकतें आप को उससे होकर गुजरना होता है..!  

anubhav

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पुस्तक के भाग

1

उपासना

27 अप्रैल 2022
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1

वो एक गरम दोपहर थी। सामान्य तहा रेल्वे स्टेशन पर इस वक़्त ज्यादा भीड़ नहीं रहती लेकिन उस दिन जरा ज्यादा ही थी. मेरे साथ सुहास था, वो हमेशा साथ ही रहता है मुझे ज्यादा अकेला नहीं छोड़ता; बहोत पुरान

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भंगुर

27 अप्रैल 2022
1
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भरी दोपहर मे भद्र ने अग्नि जलाया। आग की लप्टे जिस दिशा मे अपनी लाल जिभा दिखा रही थी वहां भद्र चल पड़ा। ये कठिन काम सिर्फ भद्र ही कर सकता था इसलिए कबीले वालों ने उसका चुनाव किया सारा कबीला गैर आर्

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पड़ोस का घर..

27 अप्रैल 2022
1
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रात का अंधेरा इतना भी घना नहीं था चाँद के मद्यम से प्रकाश में मुझे वो इग्लू सा छोटा सा घर दिखाई दिया। आज कितने सालों बाद मै गाव मे वापस आया था। पर पहले जैसे ये कुनबा आदमी, औरत, बच्चे, गाय, बैल, खेत...

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चित्र

27 अप्रैल 2022
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वो रोज की तरहा आज भी ऑफिस को लेट हो गया था। जल्दी जल्दी भागते सासें फुलाता लिफ़्ट के पास आ गया था। कितना सेक्रेटरी के पीछे लग लग कर उसने ये सोसाइटी की लिफ़्ट चालु करवा दी थी, आखिर दसवें मजले से न

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अनुभव

27 अप्रैल 2022
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रेड लाइट एरिया की तंग गलियो से विष्णु गुजर रहा था, हर एक घर उसे अपने अंदर समा लेना चाहता, लेकिन सौदा पक्का ना होने की बजेसे वो बस इधर उधर घूम रहा था। आखिर कार उसे वो पसंद आ गई, दरवाजे़ पर बैठ कर

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अपना घर और...?

27 अप्रैल 2022
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आज कुसुम बहोत खुश थी, घर की साफ- सफाई हो गई थी दीवारों पे नया रंग लगा था, दरवाजो पर फूलो के हार, और आंगन मे रंगोली बनी थी। कुसुम को देखने आज विनयबाबू आ रहें थे। वो दोपहर को आ गये, उनको कच्ची

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नश्वर मृत्यु

28 अप्रैल 2022
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बड़ा पहाड़ उतर कर वो शहर तक आया. रेगिस्तानी शहर बहोत फैला हुवा नहीं था लेकिन ठिक ठाक था, वहाँ का राजा एक शिस्त प्रिय सा इंसान था इसलिए उसने राजा बनते ही शहर का सारा कचरा साफ किया, और एक रुका हुवा फैसल

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ऋतु रूंधन

28 अप्रैल 2022
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वेलु नामका एक छोटासा तालुका, आसपास जंगल का ईलाका वहाँ सबकुछ था! था! हा था! एक सिनेमा टाकी. एक नगर परिषद, एक इतिहास कालीन छोटा कॉलेज कॉलेज में बहोत से पेड़, पौधें.अनेक वृक्ष वो सब कॉलेज

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नाश्ते की पंगत.

28 अप्रैल 2022
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शाम और रात के बिच का जो समय होता है ठिक उसी समय अजित उस जगह पर पोहचा। उसे छोड़कर पगडंडी के धूल भरे रास्ते से वो बाइक चली गई जिसने उसे लिफ्ट दी थी, अपना मार्ग टेड़ा कर के लिफ्ट देने वाला वो सज्जन

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मुचकुंद

28 अप्रैल 2022
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"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

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मुचकुंद

28 अप्रैल 2022
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"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

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भय

9 जून 2022
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बारिश हो रही थी बहोत तेज बारिश। वो बरसात की रात थी। शहर से बाहर दूर एक खेत मे सुनील राधा के साथ गया था। सुनील अपने गाव मे कॉलेज की छुट्टीया मनाने आया था। और फिर वो राधा से मिला। र

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दीवार

10 जून 2022
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ये कहानी उस दौर की है जब दुनिया पूरी तरहा से तहस नहस हो गई थी। दुनिया मे प्रलय आने के लिए कोई भी दैवी शक्ति जिम्मेदार नहीं थी। ये तो हमारी ही भूख बहोत बढ गई थी, और चाहिए, और चाहिए की भ

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