संजय कुमार सुमन sk.suman379@gmail.comदोस्तो सलाहकार ये ऐसा सब्द है, जो कि हम सब के जीवन मे लागू होता है।ऐसा कोई व्यक्ति नही जिसे अपने जीवन मे किसी की सलाह की आवश्यकता नही पड़ी हो। कभी अपने व्यापार संबंधी या फिर अपने निजी जीवन संबंधी हमे
प्राकृतिक और सामाजिक कारणों से हम सभी की पहचान कुछ समूहों से जुड़ जाती है। उदाहरण के लिए एक इंसान की पहचान कुछ यूँ - महिला, भारतीय, अच्छा कद, गेहुँआ रंग, शहरी (दिल्ली निवासी), प्रौढ़, सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करने वाली, हिन्दू (दलित), मध्यमवर्गीय परिवार आदि। अब पूरा जीवन इन समूहों और उनसे निकले उप-सम
जेल में जाने से कोई अपराधी नहीं हो जाता जबतक न्यायालय उसे दोषी न ठहराए. अपराध सिध्द होने तक हम कथित तौर पर गिरफ्तार अभियुक्तों को चोर, हत्यारा, आतंकवादी या देशद्रोही कहते हैं. विशेष रूप से इन शब्दों का इस्तेमाल कोर्ट और पत्रकारिता में किया जाता है. लेकिन हमारे देश में तो न्यायालय के फैसले से पहले ह