यह पुतस्क आज के युवाओं की सोच की व्याख्या तुलनात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है। आज हमारी युवा पीढ़ी अपने लक्ष्य से भटक गयी है। उन्हें किसी की भावनाओं की परवाह नही, वे आज इलेक्ट्रॉनिक के युग मे जी रहे जिसका असर ये है कि उनका दिल और दिमाग दोनों एक रोबोट की भांति हो गया है। जिसमे कोई भावना अर्थात फ़ीलिंग ही नही होती । हम सभी आज इतने भाग दौड़ की ज़िंदगी जी रहें हैं कि अपनी सभ्यता, संस्कृति और नैतिक मूल्यों को भी भूल गए है.....