आज इस भागदौड़ की ज़िंदगी में हम वास्तविकता, अपने कर्तव्य और जिंदगी जीने के मायने को भूलते जा रहे हैं, नतीजा यह है कि आज दुनियाभर के लगभग इंसान डिप्रेशन जैसी मानसिक वेदनाओं से पीड़ित हैं। जब तक हम अपने कर्तव्यों को सही ढंग से नही निभाएंगे , अपनी ज़िम्मेदारी को नही समझेंगे तब तक ऐसी स्थितियां हमारे समक्ष उपस्थित होते रहेंगे । हम सच्चाई से भागते फिरते है, पर भागना समस्या का हल कदापि नहीं हो सकता । आगे पढ़ें इस किताब के अंक में ....