बालश्रम, बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेता है और पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकलने देता।2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बाल मजदूरों की संख्या 1.01 करोड़ है जिसमें 56 लाख लड़के और 45 लाख लड़कियां हैं। दुनिया भर में कुल मिलाकर 15.20 करोड़ बच्चे – 6.4 करोड़ लड़कियां और 8.8 करोड़ लड़के बाल मजदूर होने का अनुमान लगाया गया है अर्थात दुनिया भर में प्रत्येक 10 बच्चों में से एक बच्चा बाल मजदूर है।
पिछले कुछ सालों से बाल श्रमिकों की दर में कमी आई है। इसके बावजूद बच्चों को कुछ कठिन कार्यों में अभी भी लगाया जा रहा है, जैसे बंधुआ मजदूरी, बाल सैनिक (चाइल्ड सोल्जर) और देह व्यापार। भारत में विभिन्न उद्योगों में बाल मजदूरों को काम करते हुए देखा जा सकता है, जैसे ईंट भट्टों पर काम करना, गलीचा बुनना, कपड़े तैयार करना, घरेलू कामकाज, खानपान सेवाएं (जैसे चाय की दुकान पर) खेतीबाड़ी, मछली पालन और खानों में काम करना आदि। इसके अलावा बच्चों का और भी कई तरह के शोषण का शिकार होने का खतरा बना रहता है जिसमें यौन उत्पीड़न तथा ऑनलाइन एवं अन्य चाइल्ड पोर्नोग्राफी शामिल है।
बाल मजदूरी और शोषण के अनेक कारणगरीबी, सामाजिक मापदंड, वयस्कों तथा किशोरों के लिए अच्छे कार्य करने के अवसरों की कमी, प्रवास और इमरजेंसी शामिल हैं। ये सब वज़हें सिर्फ कारण नहीं बल्कि भेदभाव से पैदा होने वाली सामाजिक असमानताओं के परिणाम हैं।
बच्चों का काम स्कूल जाना है न कि मजदूरी करना। बाल मजदूरी बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेती है और वे पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाते हैं । बाल मजदूरी शिक्षा में बहुत बड़ी रुकावट है, जिससे बच्चों के स्कूल जाने में उनकी उपस्थिति और प्रदर्शन पर खराब प्रभाव पड़ता है।बाल तस्करी भी बाल मजदूरी से ही जुड़ी है जिसमें हमेशा ही बच्चों का शोषण होता है। ऐसे बच्चों को शारीरिक, मानसिक, यौन तथा भावनात्मक सभी प्रकार के उत्पीड़न सहने पड़ते हैं जैसे बच्चों को वेश्यावृति की ओर जबरदस्ती धकेला जाता है, शादी के लिए मजबूर किया जाता है या गैर-कानूनी तरीके से गोद लिया जाता है, इनसे कम और बिना पैसे के मजदूरी कराना, घरों में नौकर या भिखारी बनाने पर मजबूर किया जाता है और यहां तक कि इनके हाथों में हथियार भी थमा दिए जाते हैं। बाल तस्करी बच्चों के लिए हिंसा, यौन उत्पीड़न तथा एच आई वी संक्रमण (इंफेक्शन) का खतरा पैदा करती है।किसी भी देश के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण उस देश के युवा करते हैं। ये वो स्तंभ होते हैं, जिन पर सशक्त देश की बुनियाद रखी जाती है। हमारे लिए यह गौरव की बात है कि भारत युवाओं का देश है। यदि हमने बचपन और युवावस्था में सही तालमेल बैठा लिया, तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में वैश्विक सफलता की कमान भारत के हाथों में होगी। यद्यपि विडम्बना है कि देश की शक्ति का एक अहम हिस्सा जो बच्चों द्वारा निर्मित होता है, बालपन में बाल श्रमिक के रूप में उनकी शक्ति और सामर्थ्य को अनावश्यक रूप से नष्ट कर दिया जाता हैं। हमे ऐसे प्रयास करने होंगे जिनसे बचपन के सामर्थ्य और शक्ति को संतुलित दिशा दी जा सके। हमें भारत को आर्थिक दृष्टि में सर्वोत्तम लाने के लिए भविष्य की युवा शक्ति को संरक्षित करना होगा। लोगों के परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और बच्चों को काम पर न भेजने के लिए सरकार को सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और नकद हस्तांतरण की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे।
(ज्योति)