पित्र दिवस की शाम
एक खत पापा के नाम
अब वे थोड़े कमजोर से हो गए हैं
कुछ भूलने से भी लगे हैं
पर फिर भी उन्हें वैसे ही हंसते पाती हूं
जैसे वे पहले हंसते थे
मैं तो बिल्कुल ठीक हूं मुझे क्या हुआ है?
उनका यह कहना ही
मुझको संबल दे जाता है।
हर मुश्किल को हंसकर टालना
ना कहकर भी बहुत कुछ सीखा जाता है।
आज भी मेरी हिम्मत है वे
आज भी मेरा हौसला है वे
आज भी मेरी प्रेरणा है वे
मैं जो कुछ भी आज हूं
मुझे सपने दिखाने वाले वही थे
बचपन में हाथ पकड़कर चलाने वाले वही थे।
आज मैं उनकी उंगली पकड़ कर
वही बचपन दोहराना चाहती हूं
उनकी कम होती दृष्टि में
उनकी आंखें बनकर खुद को समझाना चाहती हूं
वे कल भी मेरे हीरो थे
वे आज भी मेरे हीरो हैं
वे हमेशा मेरे हीरो रहेंगे।
(©ज्योति)