shabd-logo

'उल्टा घड़ा' एक बहुत ही सार्थक लेख

4 सितम्बर 2015

1645 बार देखा गया 1645
featured imageएक संत प्रवचन दे रहे थे - "यदि हम अपनी जाती के आधार पर जीना चाहते हैं तो मानव बने, हम मजहब के आधार पर जीना चाहते हैं तो इंसान बने,हम राजनीती के आधार पर जीना चाहते हैं तो राम बने, हम भाषा के आधार पर जीना चाहते हैं तो हिंदी बने, हम रंग के आधार पर जीना चाहते हैं तो काला बने,यदि हम प्रेम के आधार पर जीना चाहते हैं तो स्नेही बने .... उनके इस प्रवचन को सुन लोग बीच में ही उठ कर जाने लगे,बहुत कम लोग पंडाल में बच गए।संत ने उनसे पूछा -काफी लोग मेरे प्रवचन को सुनकर चुपचाप चले गये मगर आप लोग यहाँ क्यों बैठे रह गए ? श्रोता में से एक ने जबाब दिया-"जो उठकर चले गए उनमे से कुछ देश को चलाने का दंभ भरते हैं,कुछ समाज का निर्देशन कर रहे हैं,कुछ धर्म के मर्मग्य हैं जो अपनी सुविधा के अनुसार धर्म की व्याख्या करते हैं,कुछ उनका अन्धानुकरण करने वाले खुद का मतलब साधने वाले लोग हैं। संत ने पूछा -...फिर आप यहाँ बैठे बचे हुये लोग कौन हैं। श्रोता बोला -हम उलटे घड़े हैं जो कभी भरे नहीं जा सकतेहैं,हम सुनते हैं,समझते हैं परन्तु अमल नहीं करते हैं।
अमित

अमित

धन्यवाद लता जी !

7 सितम्बर 2015

7 सितम्बर 2015

1

“बेदर्द व अमानवीय : यूलिन त्योहार”

7 अगस्त 2015
1
2
0

हर इलाके, हर देश व हर धर्म के अपने खास नियम होते हैं और वे कुछ खास परंपराएं निभाते हैं, जो दूसरों के लिए नाराजगी भरी हो सकती हैं। मगर यूलिन ग्रीष्म संक्रांति त्योहार, जो इस हफ्ते के आखिरी दिनों 21 व 22 जून को मनाया जाने वाला है, एक पारंपरिक त्योहार है जिसमें 10,000 से भी ज्यादा कुत्तों व बिल्लियों क

2

ज़िंदगी नामक कशमकश के बारे में एक खूबसूरत सोच

7 अगस्त 2015
0
0
0

उज्जवल भविष्य की खातिर आगे की ओर “देखने” की हमारी कठिन लड़ाई में, हम अक्सर वे चीजें नहीं “देखते” जो वाकई में मायने रखती हैं…यह 50 साल के दिलीप जैन की कहानी है। दिलीप एक अपंग हैं, वह मुश्किल से ही बात कर सकते हैं, मगर वह अक्षम होने से कोसों दूर हैं। एक ऐसे समाज में जहां पर बदकिस्मती भीख मांगने की ओर

3

'उल्टा घड़ा' एक बहुत ही सार्थक लेख

4 सितम्बर 2015
0
1
2

एक संत प्रवचन दे रहे थे -"यदि हम अपनी जाती के आधार पर जीना चाहते हैं तो मानव बने, हम मजहब के आधारपर जीना चाहते हैं तो इंसान बने,हम राजनीती के आधार पर जीना चाहते हैं तो राम बने,हम भाषा के आधार पर जीना चाहते हैं तो हिंदी बने, हम रंग के आधार पर जीना चाहतेहैं तो काला बने,यदि हम प्रेम के आधार पर जीना चाह

4

बेटिओ पर चंद लाइने दिल से !!!

26 अक्टूबर 2015
0
3
3

घुट -घुट के जे रही है हमारी बेटिया ! जीते जी मर रही है ये हमारी बेटिया क्या हगा राम जाने ये मशीन क्या चली ।मरती है कोख में ही ये हमारी बेटिया बचपन में बेटीओ के पीले हाथ कर रहे ।घुंघट में घुट रही है ये हमारी बेटिया न लाड न प्यार है न देखभाल है ।मरती है बेइलाज ये हमारी बेटिया लेकिन समय बदल रहा ह

5

तीन पेड़ो की कथा

17 नवम्बर 2015
0
4
0

यह एक बहुत पुरानी बात है| किसी नगर के समीप एक जंगल तीन वृक्ष थे| वे तीनों अपने सुख-दुःख और सपनों के बारे में एक दूसरे से बातें किया करते थे| एक दिन पहले वृक्ष ने कहा – “मैं खजाना रखने वाला बड़ा सा बक्सा बनना चाहता हूँ| मेरे भीतर हीरे-जवाहरात और दुनिया की सबसे कीमती निधियां भरी जाएँ. मुझे बड़े हुनर औ

6

∗मान लोगे तो हार होगी, ठान लोगे तो जीत होगी∗

14 दिसम्बर 2015
0
7
0

“जिन्होंने कभी कुछ किया ही नहीं, वो भी डर-डर के डराने के उपदेशक बन चुके थे.”एक बार कुछ वैज्ञानिको  ने एक बड़ा ही रोचक प्रयोग किया..उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से गुफा  में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे..जैसा की आशा  थी , जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्

7

सदा फूलता फलता भगवन आपका ये परिवार रहे

11 मई 2016
0
6
1

सदा फूलता फलता भगवन आपका ये परिवार रहे आपस में हो प्यार सभी का , और आप से  प्यार रहे ! कर मिथ्या अभिमान न मन से, जीवो का अपमान करे ! सभी जनो की तन-मन - धन से ,सेवा और सम्मान् करे !! प्रभु आपकी आज्ञा माने ,सबसे प्रेम का व्यव्हार करे !                       सदा फूलता  फ

---

किताब पढ़िए