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बकलोल खुर्शीद

14 नवम्बर 2021

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काश महसूस कर लेते तुम,
तासीर मेरे जीने की।
तो यूं उंगली उठाने से पहले,
शर्म से मर जाते खुद की हकीकत पर।।

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14 नवम्बर 2021

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रचनाएँ
कोई सुनो तो सही
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यहां मैं अपने विचारों की शुरुआत कर रहा हूँ, जरूरी नही वो एकदम परिपक्व प्रतीत हो पर मुझे विश्वास है जो लोग मुझे पढ़ेंगे प्रोत्साहित करेंगें उनके प्रेम, स्नेह से मैं परिपक्व के कुछ अंश को जरूर स्पर्श कर पाऊंगा।। इस अंक में अपनी शायरियों को आपके साथ साझा करूँगा जो प्रेम पर आधारित रहेंगी।।

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