वो लड़का उस लड़की को ऊपर से नीचे देखने लगा । अब तक वो इतना तो समझ चुका था कि यह लड़की उसकी तरफ से ही बात कर रही है। उसे देख हजारों सवाल उसके जेहन में घूमने लगे । उसके चलने के अंदाज से यह अंदाजा तो हो चुका था इस लड़के को कि यह लड़की अंधी है। जो बहुत ही खूबसूरती से बिना किसी सहारे के उसके बगल में बैठ गई। उसे अपने सामने इस तरह अचानक से देख , इस अंधी लड़की को कैसे पता चला कि मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। यह सोचते सोचते वो लड़का उस लड़की के प्रश्न का जवाब देना तो दूर उसे बस एक टक देखे जा रहा था।
उस लड़की ने फिर से " क्या हुआ बाबू , क्या सोच रहे हो? " फिर खुद ही जैसे उस लड़के के सोच को पढ़ पाने की क्षमता उसमे थी , अंधी होने के बावजूद उस लड़की ने जैसे उस लड़के के परेशानी को समझते हुए उसने अपने प्रश्नों का जवाब खुद ही देते हुए " आप ठीक सोच रहे हैं बाबू । आप यही सोच रहे हैं न कि मैं अंधी होते हुए भी कैसे समझ लिया कि आप आत्महत्या करने जा रहे हैं?"
अब वो लड़का फिर से अपने पॉकेट से सिगरेट के डिब्बे से एक सिगरेट को निकाल उसे जलाते हुए एक कश लेने के बाद भी उस लड़की को बड़े गौर से ऊपर से नीचे देखने लगा। जवाब तो वो अब भी देना नही चाहता था उसका ।
फिर उसी सिटर पर उसके बगल में बैठ उसके पहनावा को देख बहुत ही बदतमीज तरीके से वो लड़का " कहीं तुम पैसे कमाने के लिए अंधी होने का नाटक तो नही करती । आजकल दूसरों को उल्लू बनाकर तुम्हारे जैसे कई भिखारी मिलेंगे रास्ते पर पैसे कमाते । "
उस लड़की ने लड़के के आवाज की दिशा पर अपना मुंह करते हुए, हुआ भी यही । कहीं न कहीं उस लड़के की यह बात उसके स्वाभिमान को चुभ गई । लेकिन फिर भी अपने गुस्से को काबू कर अपनी शांत भाव के साथ वो लड़की " मैं गरीब हो सकती हूं बाबू । लेकिन भिखारी नही । और न कभी किसी को उल्लू बनाया है । पैसे ही कमाना रहता तो अंधी बनकर सबके सामने एक जगह बैठ कर हाथ फैला सकती थी। लेकिन नही , नही करती मैं ऐसा । अपने जीवन के इस कमी को अपनी कमजोरी नहीं बनाती मैं बाबू। रोज सुबह से लोकल ट्रेनों में फूल बिक्री करती हूं । अगर आप यहां रोज ट्रेन में सफर करते होगे तो मुझे कहीं न कहीं आपने जरूर देखा ही होगा? देखा नही क्या आपने मुझे ?"
उस लड़की की स्वाभिमानी बातों को सुन , वो लड़का सोचते हुए " शायद देखा होगा लेकिन कभी ख्याल नही किया ? मैं इधर बहुत कम ही आता हूं।"
वो लड़की थोड़ी हंसते हुए " आप भी न बाबू ?"
वो लड़का यूं फिर अपने ऊपर उसे हंसते देख " क्या ? मैने ऐसा क्या कहा जो तुम्हे हंसी आ गई मुझ पर।"
लड़की फिर से थोड़ी मुस्कुराती हुई जैसे अपने दुख को छुपा कर चेहरे पर खुशी जाहिर करते हुए " यही की ख्याल नही किया ? मुझमें तो ऐसा कुछ है ही नहीं बाबू जो ख्याल करे कोई ? बस इसी बात पर आपकी मुझे हंसी आ गई।"
वो लड़का जो उस चेहरे को देख रहा था जो अंधी होने के बावजूद मुस्कुराते हुए इस दर्द को छुपा बहुत ही शालीनता से जवाब दे रही थी। अब वो लड़का उसके चेहरे को ध्यान से देख रहा था । चेहरा जो पूरी आत्मविश्वास से भरपूर थी । गेहूंवा रंग उसके चेहरे की सुंदरता को और भी बड़ा रहा था , हां थकान जो उसके चेहरे पर थी वो साफ झलक रहा था। माथे पर छोटी सी बिंदी । गले से कंधे से होते हुए उसके लंबे बालों की चोटी झूलीहुई थी । गले पर काले धागे में पिरो कर एक ताबीज बंधी हुई थी। जो शायद किसी ने उसकी सलामती के लिए बांधे थे । हाथों में रंग बिरंगी चूड़ी। और पावं में मेटल के कड़े , पहनावा देख तो ऐसे ही लग रहा था कि किसी की फेंकी हुई चीजों से उसने खुद को सजाया है ।
वो लड़का उसे देखने में मग्न था , जिससे यह लड़की अनजान थी। उस लड़के को शांत देख वो लड़की " बाबू "
तभी वो लड़का अपने ध्यान को उससे हटाते हुए " तुमने बताया नही कि तुम्हे कैसे पता चला कि मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं।"
वो लड़की " बाबू आंख नही है मेरे पास , लेकिन मैं हर आहट को सुन सकती हूं। हमारे सुनने और महसूस करने की क्षमता इतनी प्रबल होती हैं कि हमें पता चल ही जाता हैं। बहुत देर से सुन रही थी मैं आपके पावों की आहट को । जो आगे बढ़ते तो थे लेकिन फिर पीछे हट जाते थे । कल भी शायद आपने ही कोशिश किया था । लेकिन कल भी आपकी हिम्मत नहीं हुई?सही कहा न मैने ?"
यह सुनते ही उस लड़के की जेहन में कई सारी विचार आने लगे कि कल भी जो उसने कोशिश किया था यह भी उस लड़की को पता है ।
उस लड़के ने " क्या तुम सच में अंधी हो ?"
लड़की " हां बाबू । "
लड़का " तो कल मैं ही था , यह कैसे पता चला तुम्हे ।"