13 अक्टूबर 2022
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बहना की चिठ्ठी...नहीं चाहिए हिस्सा भैयामेरा मायका सजाए रखनाराखी और भाई दूज परइंतजार बनाए रखनाकुछ ना देना मुझको चाहेबस अपना प्यार बनाए रखनापापा के इस घर मेंमेरी याद सजाए रखनाबच्चों के मन में मेरामेरा म
सब से अलग हैंभैया मेरासब से प्यारा हैभैया मेराकौन कहता हैंखुशियाँ हीसब होती हैंजहां मेंमेरे लिए तोखुशियों से भीअनमोल हैंभैया मेरा
जब बस में सफर कर रहा था...और ड्राइवर के बगल में खड़ा था...इतने में एक महिला ने ड्राइवर से बोला की "भैया" मुझे यहीं उतार दो...ड्राइवर ने उसे उतार दिया और फिर बस चलाते हुए मुझसे कहने लगा की दिनेश जी एक ब
लडका अपनी छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था।अचानक से उसे लगा की, उसकी बहन पीछे रह गयी है।वह रुका, पीछे मुडकर देखा तो जाना कि, उसकी बहन एक खिलौने के दुकान के सामने खडी कोई चीज निहार रही है।लडका पीछे आ
किसी घर के लिए रिश्तों का ये गहना नहीं होतों ..बहुत कुछ एक दुजे के लिए सहना नहीं होतों ..किसी घर के लिए रिश्तों का ये गहना नहीं होतों ..बहुत कुछ एक दुजे के लिए सहना नहीं होतों ..भला त्योहार राखी का
बहन की चिठ्ठी...नहीं चाहिए हिस्सा भैयामेरा मायका सजाए रखनाराखी और भाई दूज परइंतजार बनाए रखनाकुछ ना देना मुझको चाहेबस अपना प्यार बनाए रखनापापा के इस घर मेंमेरी याद सजाए रखनाबच्चों के मन में मेरामेरा मा
बिक गये घर कई, बिक गयी खेतियां, बैठ पायी है डोली में तब बेटियां! माँ की चूड़ी बिकी, बिक गयीं बालियां, हाथ मेहँदी रचा पायी तब बेटिया। हलवा, पूड़ी तो बेटो के खातिर बने, बॉसी रोटी चबाती रही बेटिया। भैया, भ
राखी क़रीब है. परदेस में राखी कितनी कष्टकारी हो सकती है, उस अप्रवासी भारतीय से पूछिए जिसकी बहन भारत में हो.याद आता है – कैसे चुपके से बहन किसी दिन राखी लेकर आती थी, छुपाकर रखती थी, राखी के दिन 'सरप्रा
अनोखा भी है, निराला भी है, तकरार भी है तो प्रेम भी है, बचपन की यादों का पिटारा है, भाई-बहन का यह प्यारा रिश्ता है।