राखी क़रीब है. परदेस में राखी कितनी कष्टकारी हो सकती है, उस अप्रवासी भारतीय से पूछिए जिसकी बहन भारत में हो.
याद आता है – कैसे चुपके से बहन किसी दिन राखी लेकर आती थी, छुपाकर रखती थी, राखी के दिन 'सरप्राइज़' देती थी, शादी के बाद जहाँ भी हो, राखी ज़रूर भेजती थी और साथ में एक प्यारी सी चिट्ठी.
फिर बहन ई-मेल करने लगी. अब हाथ से लिखी चिट्ठी सिर्फ़ एक आती है – राखी के साथ.
राखी के आसपास पुरानी यादें उमड़ने-घुमड़ने लगती हैं, आँखों में आँसू भी ले आती हैं. लेकिन उन्हीं सूनी आँखों में चमक आ जाती है जब भारत से चिट्ठी में आती है – राखी, चंदन, रोली और अक्षत के साथ.
बहरहाल, इस बार राखी के साथ मेरी बहन ने एक चेतावनी भी भेजी है. चेतावनी का विषय है – “पुरुषों को चेतावनी.”
आगे लिखा है –"एक विशेष सूचना .......... अगर आप बस, रेल या कही से भी आ जा रहे हो और किसी लडकी के हाथ मे फूल, धागा, चेन या ऐसी ही कोई चमकती वस्तु नज़र आए तो आप तुरंत वहाँ से दूर हो जाएं. ये चमकती वस्तु राखी भी हो सकती है. आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको भाई बना सकती है."