लडका अपनी छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था।
अचानक से उसे लगा की, उसकी बहन पीछे रह गयी है।
वह रुका, पीछे मुडकर देखा तो जाना कि, उसकी बहन एक खिलौने के दुकान के सामने खडी कोई चीज निहार रही है।
लडका पीछे आता है और बहन से पूछता है, "कुछ चाहिये तुम्हे ?"
लडकी एक गुड़िया की तरफ उंगली उठाकर दिखाती है।
बच्चा उसका हाथ पकडता है, एक जिम्मेदार बडे भाई की तरह अपनी बहन को वह गुड़िया देता है। बहन बहुत खुश हो गयी है।
दुकानदार यह सब देख रहा था, बच्चे का व्यवहार देखकर आश्चर्यचकित भी हुआ...
अब वह बच्चा बहन के साथ काउंटर पर आया और दुकानदार से पूछा, "सर, कितनी कीमत है इस गुड़िया की ?"
दुकानदार एक शांत व्यक्ती है, उसने जीवन के कई उतार-चढाव देखे होते है। उन्होने बडे प्यार और अपनत्व से बच्चे से पूछा, "बताओ बेटे, आप क्या दे सकते हो?"
बच्चा अपनी जेब से वो सारी सीपें बाहर निकालकर दुकानदार को देता है, जो उसने थोडी देर पहले बहन के साथ समुंदर के किनारे से चुन-चुन कर लाया था ।
दुकानदार वो सब लेकर यूँ गिनता है, जैसे पैसें गिन रहा हो।
सीपें गिनकर वो बच्चे की तरफ देखने लगा तो बच्चा बोला,"सर कुछ कम है क्या?"
दुकानदार :- "नहीं-नहीं, ये तो इस गुड़िया की कीमत से ज्यादा है, ज्यादा मै वापिस देता हूं" यह कहकर उसने चार सीपें रख ली और बाकी की बच्चे को वापिस दे दी।
बच्चा बडी़ खुशी से वो सीपें जेब मे रखकर बहन को साथ लेकर चला गया।
यह सब उस दुकान का नौकर देख रहा था, उसने आश्चर्य से मालिक से पूछा, "मालिक ! इतनी महंगी गुड़िया आपने केवल चार सीपों के बदले मे दे दी ?"
दुकानदार हंसते हुये बोला,
"हमारे लिये ये केवल सीप है पर उस छोटे से लड़के के लिये अतिशय मूल्यवान है। और अब इस उम्र मे वो नहीं जानता की पैसें क्या होते है ?
पर जब वह बडा़ होगा ना...
और जब उसे याद आयेगा कि उसने सीपों के बदले बहन को गुड़िया खरीदकर दी थी, तब उसे मेरी याद जरुर आयेगी, वह सोचेगा कि, "यह विश्व अच्छे मनुष्यों से भरा हुआ है ।"
यही बात उसके अंदर सकारात्मक दृष्टीकोण बढा़ने मे मदद करेगी और वो भी अच्छा इंसान बनने के लिये प्रेरित होगा...