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उसकी याद में

13 नवम्बर 2021

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भले ही वो मुझे ना चाहे
मैं तो चाहता हूं उसे
कभी देखे हो?
चातक को चांद से मिलना।

क्या हुआ जो साथ नहीं है वो मेरे
आसमान भी तो धरती को दूर से ही देखते हैं।

याद भले ही ना आऊं मैं उसे 
पर देखते तो हैं वो नफरत भरी निगाहों से ही।

मिलना, बिछड़ना तो मन का बहम है
दिल और दिमाग में जो घूम रहा है वे क्या कम है।

आशा की किरण बुझ रहा है बुझने दो
यह रात्रि का निशा तम है, सूरज उगना अभी बाकी है।
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