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बिश्नोई धर्म प्रवेश

Devaram Bishnoi

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गुरु श्री जम्भेश्वर महाराज ने बिश्नोई धर्म स्थापना विक्रम संवत-1542 कार्तिक वदीअष्टमी को समराथल धोरा मुकाम पर पवित्र पाहल कलश स्थापना करके सर्व प्रथम पुलोजी पंवार राजपूत को पाहल देकर बिश्नोई बनाया। उनतीस नियम पालन हेतू एवं120 शब्दवाणी उपदेश सुनायें।उन्हें हुबहू पालन करने एवं नियम लागु रखने कि जिम्मेदारी बिश्नोई सन्त महात्मा गायणा गृहस्थी लोगों को सुपुर्द किया था। संत शिरोमणि श्री विल्होजी महाराज को बिश्नोई धर्म के द्वितिय धर्मगुरू जाम्भोजी महाराज केअवतार के रूप में माना जाता हैं।संत शिरोमणि विल्होजी महाराज ने गृहस्थी लोगों के सादा जीवन उच्च विचार सिद्धांत से जीवन व्यतीत करने के लिए बतिसआखड़ी कि आचार संहिता लागू कि। बिश्नोई धर्म के लोग पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में निश्चित रूप से बहुत बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। हरे वृक्षों को बचाने के लिए खेजड़ली जोधपुर राजस्थान में 363बिशनोई शहीद हुए थे।  

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