अप्रैल माह में अपने लम्हों को और अहसासों को शब्दों में पिरोकर अपनी डायरी में लिख रहीं हूँ...।
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अप्रैल.... 1......शुक्रवार.....एक अप्रैल यानि फूल़ डे..... मुर्ख दिवस....। कहने और सुनने में बहुत अजीब लगता हैं की ऐसा भी कोई दिन हम मनाते हैं....। देखा जाए तो यह दिन मूल रूप से पश्चिम देश की विर
3 अप्रैल...... रविवार..... कैसी हो डियर डायरी...? मैं बिल्कुल ठीक हूँ....। पता हैं कल मेरा रसोई घर कितना खुश हुआ था...! मुझसे ज्यादा तो वो खुश था क्योंकि सिवाय चाय के कल उसका इस्तेमाल बिल्कु
मर्यादा में रहना हैं... क्योंकि तुम एक बहू हो...। घूंघट ओढ़ना हैं... क्योंकि तुम एक बहू हो..। बड़ों का कहना मानना हैं.. क्योंकि तुम एक बहू हो..। अदब से चलना हैं... क