"चतुष्पदी"लगा न देना यार दुबारा दरवाजे पर फिर ताला।भरा मिला है बहुत दिनों के बाद प्रेम से तर प्याला।कहा सभी ने पी लो इसको दवा बहुत अक्सीर है-मगर न लेना हद से ज्यादे पी जाती है मधुशाला।।लगा लगा कर थक जाती है दुनिया अपने घर ताला।खुली हुई खिड़की से आती खुश्बू मदमाती लाला।पिया करो गम भी हैं सुंदर अपनों न
, मापनी- 2122 2122 1222 12, समांत- अल, पदांत- से डरा"चतुष्पदी"अश्क आँखों को मिला प्रेम काजल से डरा।सत्य सावन की घटा स्नेह बादल से डरा।गुम हुई है चाँदनी अब नए दीदार में-भीगता सावन रहा हुश्न घायल से डरा।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"चतुष्पदी"वही नाव गाड़ी चढ़ी, जो करती नद पार।पानी का सब खेल है, सूख गई जलधार।किया समय से आप ने, वर्षों वर्ष करार-चढ़ते गए सवार बन, भूले क्यों करतार।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"चतुष्पदी"बहुत याद आओगे तुम प्यारे गुलशन।बहारों की बगिया खुश्बुओं के मधुबन।कभी भूल मत जाना प्यारी सी चितवन।माफ करना ख़ता तुम हो न्यारे उपवन।।-1याद आएगी कल प्यारी पनघट सखी।खुश्बुओं से महकता ये गुलशन सखी।मेरी यादों के चितवन में छाएगी सखी।माफ़ करना ख़ता मन न अनबन सखी।।-2महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"चतुष्पदी" पापकर के क्या मिला किसको मिला कुछ तो बता।एक घर इंसाफ का तुझको मिला कुछ तो बता।घूमता तू रोज सिर खैरात की टोकरी लिए।फल मिला अपराध का किनको मिला कुछ तो बता।।-1धैर्य की पहचान भारत ने बताया था तुझे।पर न सीखा जानकर तूने सिखाया था तुझे।आज गिन इत्मीनान से कब्र में कितने गए-फिर न आना भूलकर राहें द