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चिची

23 दिसम्बर 2021

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नंदू एक सात साल का प्यारा सा बच्चा है,उसकी मां कुछ दिन पहले ही स्वर्ग सिधारी है, जिस कारण वह उदास रहता है,वैसे तो घर में उसके दादा दादी है जो उसे जान से भी जादा चाहते हैं ,एक बुआ है जो कॉलेज में पढ़ रही है उसकी उम्र करीब 20 वर्ष होगी, वह भी जब तक घर रहती है उसे  अपने साथ लिए रहती है ,उसके पापा घर के पास ही बुक्स की दुकान सम्हालते हैं,वह भी हर घंटे आकार उसकी खोज खबर लेते हैं या फिर कुछ देर के लिए दुकान ही ले जाते हैं,पर मां तो मां होती है, नंदू को जब भी मां की याद आती है तो वह सुबक सुबक कर रोने लगता है तब उसे सम्हालना मुश्किल होता है,।
नंदू सुबह सुबह अपने खिड़की के पास खड़ा बाहर देख रहा था तो उसे एक चिड़िए का बच्चा गिरा हुआ दिखाई देता है,को उड़ने में सक्षम नहीं है। नंदू बाहर भाग कर जाता है और उस बच्चे को ले आता है और दादी से दाना लाने को कहता है,दादी पूछती है"दाना क्या करेगा बेटा”। नंदू कहता है" मेरे फ्रेंड को खिलाना है"।दादी दाना लेकर आती है,वह चिड़िये के बच्चे को देख कहती है" अरे ये क्यों उठा लाया उसकी मां ढूंढेगी,"। नंदू कहता है" इसकी भी मां नही है,आज से ये मेरा फ्रेंड है और मेरे पास ही रहेगा”नंदूने अपना निर्णय सुना दिया अब दादी तो उसको खुश देखना चाहती है तो वह मुस्करा देती है फिर कहती है "ठीक है ,में इसके लिए एक छोटा सा पिंजरा मांगा देती हूं,ताकि इसे रहने की प्रोब्लम न हो ,बाहर रहेगा तो कोई बिल्ली इसे मार देगी" । नंदू कहता है"तो जल्दी लाओ” वह दादी के हाथ से दाना लेकर उसे खिलाने लगता है,वह भी उसके गोद में ही बैठा रहता है,”उसके दादा उसके लिए छोटा सा पिंजरा लेकर आते हैं,तो नंदू बहुत खुश होता है वह उसे उस पिंजरे में रखता है,और उसके लिए दाना और पानी भी रखता है, उसकी बुआ कॉलेज से आती है तो उसका इंट्रो अपने फ्रेंड से कराता है ,वह बहुत खुश है ये देख सभी खुश होते हैं,।
अब नंदू का रोज की दिनचर्या अपने फ्रेंड के साथ ही शुरू होती है, कोरोना की वजह से स्कूल बंद है तो उसे टयूशन पढ़ने टीचर घर आते हैं तो भी वो पिंजरे को साथ ही रखता है,उसने चिड़िया का नामकरण भी कर दिया  ची ची क्योंकि हरदम ची ची करता रहता है, नंदू पूरा दिन उसके साथ ही बिजी रहता है यहां तक कि वो उसे टॉयलेट में भी साथ ले जाता है ,और ची ची भी उसकी बात को समझने लगा है,अगर नंदू एक मिनट भी नहीं दिखा तो चिल्लाने लचिलाने ,दोनो एक दूसरे के जैसे पूरक बन गए हैं,।
धीरे धीरे समय बीतता है , नंदू का अब रोना बंद हो गया क्योंकि उसका प्यारा फ्रेंड उसके साथ रहता है , ची ची भी अब बड़ा हो गया,उसके पंख भी बड़े हो गए उसको फड़फड़ाते देख नंदू बहुत खुश होता है,वह ची ची को पिंजरे से बाहर निकलता है,ची ची कभी उसके कंधे पे बैठता है तो कभी उड़ने लगता है उसे उड़ता देख घर के सभी पंखे बंद कर दिए जाते हैं,ताकि वह कही पंखे से टकरा न जाए, नंदू धीरे धीरे अपनी मां को भूलने लगा है, उसके घर के लोग भी 
खुश हैं ची ची ने उनकी समस्या कम कर दी,वरना एक दो लोगो को उसके साथ बिजी रहना पड़ता था,।
नंदू का चिड़चिड़ापन भी खतम हो जाता है,एक दिन नंदू पिंजरा लेकर बाहर आता है, वह ची ची से कहता है"ची ची आज तुम ऊपर तक उड़ कर दिखाओ,ची ची पंख फड़फड़ाने लगता है उसे लगता है आज वह भी अपनी मर्जी से उड़ पायेगा, नंदू पिजरा खोलता है तो ची ची बाहर आकर उसके कंधे पर बैठता है,उसी समय कुछ चिड़ियों का झुंड आकर आपस में खेलने लगते हैं तो उन्हें देख ची ची भी उनके पास जाकर खेलने लगता है तो नंदू खुश होकर ताली बजाने लगता है, और चिल्लाकर बुआ और दादी को बुलाता है,दादी और बुआ जल्दी से आते हैं तो नंदू कहता है"ये देखो ची ची के नए फ्रेंड्स और मेरे भी ”।वह उनको पकड़ने भागता है तो सभी चिड़िया उड़ जाते हैं साथ ही ची ची भी जाता है ,पहले तो ची ची को सबके साथ उड़ता देख वह खुश होता है,पर कुछ ही देर में सब दूर आंखों से ओझल हो जाते हैं,तब नंदू का मुंह बिगड़ने लगता है और वो ची ची को वापस आने के लिए कहता है,उसकी बुआ उसे समझाने की कोशिश करती है, वह कहती है"नंदू बेटा उसके फैमली के लोग मिल गए हैं वो उनके साथ कुछ दिन रहकर वापस आ जायेगा”।नंदू रोते हुए कहता है"नही आप सब झूठ बोलते हो,पहले कहा मां घूमने गई है वो आज तक नही आई अब ची ची भी मुझे छोड़ गया,में इतना बुरा हूं की सब मुझे छोड़ जाते हैं”वह जोर जोर से रोने लगता है,तभी उसे ची ची की आवाज़ सुनाई देती है,वह ऊपर देखता है तो ची ची एक और चिड़िया के साथ उसके ऊपर उड़ रहा है,तो नंदू खुश होकर कहता है"अरे मेरा फ्रेंड आगया ,अपने साथ एक फ्रेंड भी लाया है ”ची ची को देख बुआ और दादी भी खुश होती हैं , ची ची आकार नंदू के कंधे पर बैठता है दूसरी चिड़िया भी उसके साथ आकर नंदू के दूसरे कंधे पे बैठती है, नंदू बहुत खुश होता है और उनके साथ खेलने लगता है।

Dinesh Dubey


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एक चिड़िया और बच्चे की मित्रता

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