तेरी रहमत से जी रहे हैं
परिधि में रहकर
चिरागों से ज़रा पूछ
अपनी मर्ज़ी से
न वे जलते हैं
और न बुझते हैं ।
उनकी जलती हुई
लौ को देखो
अपने पास न
वे कुछ रखते हैं ।
लाल अग्नि में जलकर
ख़ामोश हो जाते हैं
रौशनी किसको मिली
वे नहीं पूछते
अंधेरों में कौन खो गए
वे नहीं जानते
उनकी फितरत थी जलना
वे जलते रहे,
उनका काम था राह दिखाना
वे दिखाते रहे...
-जय वर्मा
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