30 अप्रैल 2015
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मैं लघुशस्त्र निर्माणी कानपुर में सेवारत हूँ कविता मुझमे सहज विराजती है जब तक जन्म ना ले ले मुझे व्याकुल रखती है शब्द ही मेरी पहचान हैं.. "भले ना हो पास मेरे शब्दों का खजाना, ना ही गा सकूँ मैं प्रशंसा के गीत, सरलता मेरे साथ स्मृति मेरी अकेली है, मेरी कलम मेरी सच्चाई बस यही मेरी सहेली है" D
मैं क्षमा के साथ ही फिर से विनम्र निवेदन करता हूँ..कि मैं अभी भी नवीन रचना पोस्ट करने की तकनीकि समझ नही पाया हूँ..
21 अगस्त 2015
राजेंद्र जी, किसी कारणवश आपकी रचना प्रकाशित नहीं हो सकी है. संभव है की इसे प्रकाशित करते समय आपसे कोई त्रुटि हुई है. कृपया पुनः प्रकाशित करें. इसके बाद भी यदि प्रकाशित करने में कोई कठिनाई आए तो हमें सूचित करें. धन्यवाद !
27 अप्रैल 2015