3 सितम्बर 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
धन्यवाद, अर्चना जी !
4 सितम्बर 2015
गोल-गोल रचती जाती हैं बिंदु-बिंदु के वृत्त बना कर, हरी हरी-सी कर देता है भूमि, श्याम को घना-घना कर बहुत खूब
3 सितम्बर 2015