COP 28 30 नवम्बर २०२३ से सयुंक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में शुरू हुआ है. जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व जलवायु में होने वाले परिवर्तनों से है. आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह चिंतित है तेरह दिनों तक चलने वाले इस सम्मलेन में दुनियाभर के लोग हिस्सा ले रहे है . भारत की तरफ से इस सम्मलेन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिस्सा ले रहे है
. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) राजधानी दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) की पार्टियों के 28वें सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 2023 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या यूएनएफसीसीसी की पार्टियों के सम्मेलन को COP28 के रूप में जाना जा रहा है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक एक्सपो सिटी, दुबई में आयोजित किया जा रहा है।
यह सम्मेलन 1992 में पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के बाद से हर साल आयोजित किया जाता है। इसका उपयोग सरकारों द्वारा वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों के अनुकूल नीतियों पर सहमत होने के लिए किया जाता है। मौजूदा COP28 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को 1.5 सेल्सियस वार्मिंग तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य की दिशा में देशों की प्रगति का पहला औपचारिक मूल्यांकन होगा
यूएई की सरकार ने अपने स्वागत संदेश में कहा है कि वह पिछली सफलताओं को आगे बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भविष्य की महत्वाकांक्षा का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से सीओपी28 की मेजबानी कर रहा है।
2015 में COP21 में, दुनिया 2050 तक ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर सहमत हुई। लक्ष्य पर बने रहने के लिए 2030 तक उत्सर्जन आधा होना चाहिए। हालांकि, लक्ष्य को पूरा करने के लिए केवल सात साल ही बचे हैं। सरकार ने कहा है कि COP28 यूएई जलवायु एजेंडे पर पुनर्विचार करने, फिर से शुरू करने और फिर से ध्यान केंद्रित करने का एक अहम अवसर है।
कॉप-28 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारत की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हुए। अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि यूएई में पहले दिन ही कॉप-28 से गति का सकारात्मक संकेत मिला है। उन्होंने जलवायु न्याय के महत्व को रेखांकित किया है।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत हानि और क्षति कोष को चालू करने के फैसले का समर्थन करता है।
हानि और क्षति कोष एक राहत पैकेज है, जो अमीर देश जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील विकासशील देशों को नुकसान की भरपाई के लिए देते हैं।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के अलावा सीओपी 28 सम्मेलन में पीएम मोदी भी शिकरत कर रहे हैं। विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन सीओपी 28 की उच्च-स्तरीय बैठक में पीएम मोदी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में पेरिस और 2021 में ग्लासगो में होने वाले शिखर सम्मलेन में भी भाग लिया था .
प्रधानमंत्री के अनुसार कॉप-28 पेरिस समझौते के तहत हुई प्रगति की समीक्षा करने और जलवायु कार्रवाई पर भविष्य के पाठ्यक्रम के लिए एक रास्ता तैयार करने का अवसर प्रदान करेगा। मोदी ने कहा, 'कॉप28 पेरिस समझौते के तहत हुई प्रगति की समीक्षा करने और जलवायु कार्रवाई पर भविष्य के पाठ्यक्रम के लिए एक रास्ता तैयार करने का अवसर प्रदान करेगा।'
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने कहा कि भारत जलवायु संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए वैश्विक रणनीति में बड़े बदलाव पर जोर देगा। यूएनडीपी में भारत के प्रमुख डॉ. आशीष चतुर्वेदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकारों से इस मुहिम में लोगों को भी शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। चतुर्वेदी ने कहा कि जी-20 की तरह कॉप-28 में भी जलवायु, स्वास्थ्य और लिंग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाए जाने की संभावना है।
चतुर्वेदी ने कहा कि कॉप-28 में भारत के लिए 2030 तक महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का एक मंच होगा। भारत अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को तीन गुना करने की राह पर है, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता देने की जरूरत है।
चतुर्वेदी ने कहा कि ग्लोबल स्टॉकटेक कॉप-28 में प्रमुख एजेंडा आइटमों में से एक होगा, जो इसके पहले दो साल के चक्र के समापन का प्रतीक होगा। ग्लोबल स्टॉकटेक देशों और अन्य हितधारकों को यह देखने में सक्षम बनाता है कि वे पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में सामूहिक रूप से कहां प्रगति कर रहे हैं। कॉप-28 ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है।
जटिल समस्या है इस वक्त की जलवायु परिवर्तन .
विश्व भर का हर जन ग्रसित भयभीत हुआ है जन जन
अगर नहीं संभले भविष्य में जीना दुष्कर हो जायेगा
हानिकारक वातावरण से हर जन पीड़ित हो जायेगा .
प्रदुषण मानव जीवन का सुख चैन छीन नाचेगा
हर जन स्वास्थ पर बीमरियों का डंका बाजेगा .
जलवायु के परिवर्तन का जिम्मेदार होगा हर जन
विश्व भर का हर जन ग्रसित .............................