न्यायोचित जो लगे तुम्हें , तुम न्याय देश में कर डालो।
सामाजिक स्तर जांच परख कर , विभक्तिकरण को तुम डालो।
सामाजिक न्याय कितना है , आत्मसम्मान से क्या ये जीते हैं।
क्या आज भी दलित , आदिवासी , उत्पीड़न की जिंदगी जीते हैं।
स्थायी समाधान कुछ खोज निकालो , सामाजिक स्तर बदलो।
ऊंच-नीच का क्या बदला नजरिया, अगर नहीं तो इसे बदलो।
कहीं राजनीतिकरण का पेंच नहीं , जो न्यायपालिका को सौंप दिया ।
कहीं राजनीतिकरण के चक्कर में , सामाजिक न्याय, सम्मान को छीन लिया।
दलितोत्थान हो गया क्या ऐसा, जो क्रीमीलेयर का आगाज किया ।
क्यों दलितों आदिवासियों में आपसी फूट का ,कैसा फैसला सुना दिया।
भाई का भाई रिपु बन जायेगा, क्या बदलाव की जरुरत पड़ी।
कौन आरक्षण का बंटवारा, उचित-अनुचित कर पायेगा।
इंजीनियर शशि कुमार करौली राजस्थान
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर सरकार चाहेगी तो SC/ST के आरक्षण का बंटवारा कर सकती है । वह उसमें क्रीमीलेयर और नॉन क्रीमीलेयर लागू कर सकती है ।
कुछ हद तक इसका फैसला राज्य सरकारों के भरोसे छोड़ दिया गया है। अब आगे इसका सरकार क्या फैसला करेंगी उसका निर्णय उनके ऊपर है।
इस फैसले को उचित-अनुचित ठहराने से दलित आदिवासियों के आत्मसम्मान और स्वाभिमान , उनके सामाजिक उत्पीड़न को नजरंदाज नहीं करना चाहिए ।