मोक्ष की राह खोजने निकले थे ,
पर अंतिम गति का मार्ग मिला।
कौन है इसका जिम्मेदार मौतों का,
हाथरस का मंजर दर्दनाक हुआ।।
मासूमों की जान गई,
बूढ़े, बच्चे, नारी शक्ति ।
कैसी यह भूल हुई वहां पर,
वहां कैसे विफल हुई भक्ति।।
आस्था लेकर निकल घर से,
आये जनाजे उनके घर ।
कैसे हो गया हादसा भारी ,
तुम्हें पता नहीं था बाबा ईश्वर।।
मुक्ति के मार्ग चक्कर में,
अपना जीवन गंवा बैठे।
अंधविश्वास, अंधभक्ति कहें,
या पाखंड के काजै जान गंवा बैठे।।
मां गंवाई , किसी ने पिता गंवाया ,
कोई भाई-बहन सुत वनिता को।
ईश्वर के नाम पर गुमराह करते ,
क्यों बाबा इस भोली जनता को।।
श्रद्धा से सुमन अर्पित करता ,
ईश्वर दे शांति मरने वालों को ।
सहानुभूति रखते हम सब ,
अपूर्णीय क्षति में सहनशीलता दो घरवालों को ।।
मौन क्यों सब हो जाते हैं,
जब जनता पर आफत आती है।
कुछ घटनाएं ऐसी होती है,
जो लापरवाही की उत्पत है।।
वो खेल गये लोगों के संग ,
उन्हें मिलना सजा जरूरी है।
न्याय मिले इन मौतों पर ,
कानून की जिम्मेदारी है।।