ईरान-इजरायल संघर्ष का इतिहास और वर्तमान परिदृश्य
ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष धार्मिक, राजनीतिक और सामरिक कारणों पर आधारित है। यह दोनों देशों के बीच किसी औपचारिक युद्ध के रूप में नहीं उभरा है, लेकिन संघर्ष कई दशकों से चल रहा है, और इसके पीछे मध्य पूर्व में बढ़ती क्षेत्रीय शक्ति, धार्मिक मतभेद और वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक शामिल हैं।
1. धार्मिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
ईरान एक शिया मुस्लिम राष्ट्र है, जबकि इजरायल एक यहूदी राज्य है। इस धार्मिक अंतर ने भी दोनों के बीच कटुता को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, 1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरान ने इजरायल को ‘ज़ायोनी शासन’ करार दिया और इजरायल को एक अवैध राज्य माना। ईरान का नेतृत्व अक्सर इजरायल के खिलाफ कड़े बयान देता रहा है, विशेष रूप से इजरायल के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले।
2. ईरान की क्षेत्रीय शक्ति और इजरायल की सुरक्षा:
ईरान मध्य पूर्व में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा है, और यह कई प्रॉक्सी समूहों का समर्थन करता है, जैसे कि लेबनान का हिज़्बुल्लाह और फिलिस्तीनी संगठनों में हमास। ये समूह इजरायल पर लगातार हमले करते रहते हैं। इजरायल इसे अपनी सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा मानता है।
3. परमाणु मुद्दा:
ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कारण यह तनाव और बढ़ा है। इजरायल और पश्चिमी देशों को यह डर है कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है, जिससे इजरायल की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इजरायल ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर गुप्त हमले और साइबर हमले किए हैं। दूसरी ओर, ईरान हमेशा यह कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
4. सीरिया में टकराव:
सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध के दौरान ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष और बढ़ा। ईरान ने असद शासन का समर्थन किया और अपनी सेना और हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों को सीरिया भेजा। इजरायल ने सीरिया में कई हवाई हमले किए, जिनमें ईरानी सेना और उनके प्रॉक्सी समूहों को निशाना बनाया गया।
5. इब्राहीम समझौता और ईरानी प्रतिक्रिया:
2020 में, इजरायल ने कई अरब देशों के साथ ‘इब्राहीम समझौते’ के तहत कूटनीतिक संबंध स्थापित किए, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन शामिल हैं। इससे ईरान नाराज हुआ, क्योंकि उसे लगा कि यह समझौते इजरायल की क्षेत्रीय शक्ति को मजबूत करेंगे और ईरान की स्थिति को कमजोर करेंगे।
6. प्रमुख घटनाएं:
2020 में कासिम सुलेमानी की हत्या: अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के प्रमुख सैन्य जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या ने ईरान को नाराज किया। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव इजरायल पर नहीं पड़ा, लेकिन इससे ईरान की अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रति आक्रोश बढ़ा।
2021 में ईरान-इजरायल 'शैडो वार': इस समय ईरान और इजरायल के बीच समुद्री जहाजों और साइबर हमलों के माध्यम से टकराव की घटनाएं बढ़ीं। दोनों देश एक दूसरे पर हमले करने के आरोप लगाते रहे हैं।
परमाणु वार्ता: अमेरिका द्वारा ईरान के साथ परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत शुरू करने के प्रयास भी तनाव के मुद्दे बने रहे हैं। इजरायल इस समझौते का कड़ा विरोध करता रहा है, जबकि ईरान इसके समर्थन में रहा है।
7. वर्तमान स्थिति:
ईरान और इजरायल के बीच सीधा सैन्य टकराव नहीं हुआ है, लेकिन दोनों के बीच छद्म युद्ध जारी है। साइबर हमले, गुप्त मिशन, और मध्य पूर्व में प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से यह संघर्ष चलता रहा है। इसके अलावा, ईरान की परमाणु क्षमता को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच यह तनाव कभी भी बड़े पैमाने पर युद्ध का रूप ले सकता है।
8. संभावित भविष्य:
अगर ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखता है, तो इजरायल इस पर सीधे हमले की योजना बना सकता है।
दोनों देशों के बीच प्रॉक्सी युद्ध बढ़ने की संभावना है, खासकर लेबनान और सीरिया में।
अमेरिका की मध्यस्थता और कूटनीतिक प्रयास इस संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से समाप्त होना मुश्किल दिखता है।
इस प्रकार, ईरान और इजरायल का संघर्ष केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन का प्रश्न नहीं है, बल्कि इसमें धार्मिक, राजनीतिक और वैश्विक शक्ति समीकरणों की जटिलताएं भी शामिल हैं।
ईरान-इजरायल संघर्ष पर कविता
धरती का अंबर, जलता है नीला,
ईरान-इजरायल का खेल अधूरा।
शोर सरहदों का, धधकती ज्वाला,
शांति की राहें, खोती निराला।
तेल की गंध, हथियारों की भाषा,
आग का नृत्य, नहीं कोई आशा।
धरती की छाती, छलनी सी हुई,
क्यों बना इंसान, दुश्मन भाई?
ईरान कहे, मेरा हक़ सच्चा,
इजरायल बोले, संघर्ष में रक्खा।
दोनों की आंखों में आग सी जली,
सपनों की दुनिया, धूल में ढली।
परमाणु की छाया, डर का साया,
कौन समझेगा, इस युद्ध का माया।
न कोई जीते, न कोई हारे,
सिर्फ़ इंसानियत के घाव सारे।
शांति की किरण, कब आएगी फिर?
कब थमेंगी ये तलवारों की लहर?
जब दिलों में हो प्रेम का उजाला,
तभी मिटेगा ये अंधियारा काला।
ईरान-इजरायल संघर्ष पर कविता
धरती का अंबर, जलता है नीला,
ईरान-इजरायल का खेल अधूरा।
शोर सरहदों का, धधकती ज्वाला,
शांति की राहें, खोती निराला।
तेल की गंध, हथियारों की भाषा,
आग का नृत्य, नहीं कोई आशा।
धरती की छाती, छलनी सी हुई,
क्यों बना इंसान, दुश्मन भाई?
ईरान कहे, मेरा हक़ सच्चा,
इजरायल बोले, संघर्ष में रक्खा।
दोनों की आंखों में आग सी जली,
सपनों की दुनिया, धूल में ढली।
परमाणु की छाया, डर का साया,
कौन समझेगा, इस युद्ध का माया।
न कोई जीते, न कोई हारे,
सिर्फ़ इंसानियत के घाव सारे।
शांति की किरण, कब आएगी फिर?
कब थमेंगी ये तलवारों की लहर?
जब दिलों में हो प्रेम का उजाला,
तभी मिटेगा ये अंधियारा काला।