Covid-19 (Coronavirus)
विश्व का नया आर्थिक संकट तथा स्वास्थ्य संकट !
मानव और प्रकृति का संघर्ष जारी है, एक ऐसा संघर्ष जहाँ मानव की शक्ति, क्षमता और प्रतिरक्षा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है तो वहीँ प्रकृति अपने नए शक्तिशाली स्वरूप के दर्शन करवा रही है। चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस (Covid-19) ऐसे ही संघर्ष की नई श्रृंखला का छोटा सा हिस्सा है। नए आंकड़ों को देखे तो केवल चीन में लगभग 3000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है तथा 30 से ज्यादा देशों में यह अपने पैर फैला चुका है, जिसमे जापान, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया रिपब्लिक, सिंगापुर, ब्राजील, अमेरिका, पाकिस्तान सहित भारत में भी यह दस्तक दे चुका है। यानि यह एक नई महामारी लेकर आया है।
क्या है कोरोना वायरस:-
WHO के अनुसार सीफूड से निकला यह वायरस एक संक्रमण रोग है, जो व्यक्ति से व्यक्ति में वैसे ही फ़ैल रहा है जैसे साधारण फ्लू फैलता है। जुकाम, बुखार, साँस में तकलीफ, निमोनिया इनके साधारण लक्षण है। (हालांकि सभी जुकाम कोरोना संक्रमण नही है)
हालांकि WHO ने इसको महामारी (पैनेडेमिक) घोषित किया है, पर सम्भावना है कि यह शीघ्र ही बर्डफ्लू, स्वाइन फ्लू, सार्स की तरह पैनेडेमिक स्तिथि को पा जायेगा। यानि स्वास्थ्य की सबसे भयानक त्रासदी। (यद्यपि पैनडेमिक के कई स्वरुप होते है, और यह भीषण संक्रमण की स्तिथि पर ही घोषित किये जाते है)
WHO, इसको Public Health Emergency of International Concern (PHEIC) घोषित कर चुका है।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव:-
कोरोना से बचाव की कोई दवा स्थायी रूप से उपलब्ध नही है, और विश्वभर की रिसर्च लैब इसकी दवा निर्माण में दिनरात लगी हुई है, तो इसका उपाय केवल अपनी शारीरिक प्रतिरक्षा को बढ़ाने से ही निकल सकता है। यानि बचाव ही इलाज है। आप भारतीय आयुर्वेद को अपनाकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है। जिसमे हल्दी, दूध, तुलसी, शिलाजीत, या अन्य प्राकृतिक पदार्थ शामिल है।
प्राचीन भारतीय दर्शन प्रकृति प्रेमी रहा है, संभव है उसने प्रकृति को अपना दोस्त समझ है, शायद ऐसी ही स्तिथि विश्व को भयानक रोगों से बचा सकती है।
इसके अतिरिक्त जंगली जानवरों, पक्षियों के मांस का मोह त्यागना उचित है। चीन ने इसपर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा रखा है, अर्थात शाकाहार ही इसका सबसे बड़ा उपाय है।
भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहना ही उचित होगा, लोगो से हाथ मिलाने या सार्वजानिक वस्तुओं को छूने इत्यादि के बाद अपने हाथों को जरूर धो लेना चाहिए।
विश्व स्तर पर तैयारिया तथा विस्तार:-
लगभग सभी महाद्वीपों को अपनी गिरफ्त में कर चुका यह वायरस कब रुकेगा यह कहना किसी के द्वारा अभी सम्भव नही है, लेकिन अंटार्कटिका और तिब्बत क्षेत्र में इनकी अनुपस्तिथि बताती है कि ठन्डे प्रदेशो में यह संक्रमण सिमित हो सकता है। तो क्या इसकी दावा ठन्डे प्रदेशो में प्रकृति ने छिपा रखी है यह तो खोजकर्ता ही पता लगा पायेगें। उसके बाद भी कई ऐसी तैयारियां इससे लड़ने के लिये की गयी है, जिसमे चीन की तैयारियां सबसे तेज़ है।
1000 बेड का हॉस्पिटल 6 दिन में बनाना, मॉक्स, एंटी डोज, एंटी बैक्टिरियल, अन्य दवाओं की तेज़ी से उपलब्धता, शहरो को पूरी तरह से रोक देना, जगह जगह थर्मल इंडिकेटर, दवाओ का छिड़काव, डॉक्टर्स की फ़ौज शायद हर वो संसाधन जो इसको रोकने में सक्षम हो सके वह चीन कर रहा है। WHO की निगरानी में दुनिया भर के देश अपने स्तर पर कई कार्य योजनाएं बना चुके है। लेकिन फैलाव का स्तर अभी तक कम नही हो रहा है।
वुहान की लैब या मांस बाजार से निकला यह वायरस अब ओलिंपिक खेल 2020 (टोक्यो) के लिये भी त्रासदी बनने की कगार पर है। सम्भव है, इस बार ओलिम्पिक रद्द हो जाएंगे।
वर्तमान में जैसे जैसे तकनीक का विकास हो रहा है, वायरस के रोगों का फैलाव भी उतना ही तेज़ और ज्यादा बड़े क्षेत्र तक होने की सम्भावना है, क्योकि तकनीक का फैलाव बहुत तेज़ है। परिवहन के तेज़ साधन और उनका अंतर्राष्ट्रीय फैलाव वायरस को हवा से हजारो किलोमीटर तेज़ी से लेकर जा रहा है। इसी कारण लगभग सभी देशों ने अपनी उड़ानों के चीन जाने पर रोक लगा दी और अब यह कई देशों की हवाई सीमाओं तक फैल रहा है। यहाँ तक की कई देशों ने अपनी स्थलीय सीमाएं भी बंद कर दी है।
स्कूल, कॉलेज, ऑफिस में भीड़ भी इस वायरस का सरल शिकार हो सकती है, यही कारण है कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन, ईरान सहित कई देशों ने स्कूल अस्थायी रूप से बंद कर दिए या कई प्रकार की एडवाइजरी जारी कर दी ,
आपातकाल के साथ कर्मचारियो को घर से ही काम करने को कहा जा रहा है।
दुनिया भर के कई बड़े आयोजन, मीटिंग, खेल प्रतियोगिताएं, समारोह भविष्य के लिये टाल दिए गए है। भारत ने भी विभिन्न खेल टीमो के विदेशी दौरे रद्द कर दिए।
शासन के द्वारा लोगो में कई जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे है, जो प्रतिरक्षा के उपाय का भाग है। जिसमे शाकाहार और साफ सफाई के प्रतिजागरुकता सबसे कारगर हो सकती है।
यह एक आर्थिक संक्रमण भी बनने जा रहा है:-
कोरोना का जितना भीषण प्रभाव स्वास्थ्य में पड़ रहा है, उससे कही ज्यादा यह दुनिया को आर्थिक नुकसान देने वाला है, जिसकी भरपाई शायद अगले 10 साल में होने की भी सम्भव न हो पाए। रिटेल, शेयर मार्केट, इलेक्ट्रॉनिक सामान, परिवहन, पर्यटन, संचार साधनों, कच्चे तेल, अनाजों इत्यादि में भीषण संकट आने की सम्भावना है। चीन जैसे तेज़ जीडीपी वाले देश की जीडीपी वृद्धि दर 0.5% से 2% तक आने की सम्भावना है, भारत की वृद्धि दर भी कम से कम 1% गिरकर 4% के आसपास आ सकती है।।वैश्विक अर्थव्यवस्था जिसकी सम्भावना 3.3% लगायी जा रही थी उसमें भी 1% तक की गिरावट आ सकती है।
चीन के हालात सबसे खतरनाक है, उसको 150 अरब डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो उसके निर्माण हब के स्वरूप को लगभग ख़त्म कर देगा।
हालांकि सीफूड और जंगली जानवरों के लिए यह लाभदायक साबित होने वाला है, क्योकि इनके व्यापार, मांसाहार पर कठोरता लगाई जा रही है, अर्थात रेड डेटा बुक के लाल निशान वाले जानवरो की प्रजातियों की वृद्धि से पर्यावरण तथा जैव विविधता को सुधरने का मौका मिल रहा है।
चीन ने अपने शहरो को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है, जो कॉम्युनिस्ट शासन होने के कारण उसके लिए सरल भी था। लेकिन लोकतान्त्रिक देशों में यह बिल्कुल असंभव है कि शहरो को प्रतिबंधित कर सके, क्योकि लोकतान्त्रिक देशों में ऐसा प्रतिबन्ध गृहयुद्ध का रूप ले लेगा।
और क्या डर नही है:-
कोरोना को लेकर जिस तरह का भय है, उसमे अफवाहों का बाजार भी गर्म है। साइबर अपराधी इसमे सबसे आगे है। लेकिन कई ऐसे विषय भी है जिनसे डरने की कोई जरूरत नही है। जैसे पालतू जानवरों, साफ सुथरे स्थानों, साफ सुथरे भोजन (जिसमे अच्छे से पकाया गया मांस भी शामिल है), इत्यादि।
भारत की स्तिथि:-
कोरोना वायरस संक्रमण के बीच संभव है, भारत स्वास्थ्य क्षेत्र की शक्ति बनकर उभर सकता है, क्योकि भारत ने न केवल वुहान और जापान के डायमंड प्रिंसेप क्रूज, इटली, से अपने नागरिकों को निकाला साथ ही सभी संक्रमित लोगो की गहन चिकित्सा देख रेख के बाद उनको स्वस्थ बचाया। अभी तक भारत में केवल एक मृत्यु होना, एक अच्छी पहल, शासन की तेज़ लोकनीति, सक्रियता का ही परिणाम है। क्योकि अमेरिका जैसे देश भी इस विषय पर भारत की तैयारियों का अध्ययन कर रहे है।
भारत ने एयरपोर्ट पर गहन थर्मल इंडिकेटर प्रयोग किये है, जो किसी भी संक्रमित यात्री को चिन्हित करने में सक्षम है। भारत ने ईरान, चीन की तरह प्रभावित लोगो को छिपाने का कोई प्रयास नही किया, जिससे तेज़ी से समय रहते जानकारियां मिल जाने से सुरक्षा उपाय किये जा सके। चीन की दवाओं को पूरी तरह से रोक कर अपनी निर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही कई देशों के नागरिकों के वीजा ऑन अराइवल को रोकना भी एक कठोर कदम है। इसके अतिरिक्त प्रभावित देशों से अपने नागरिकों को वायुसेना के माध्यम से निकालना यह भी बेहतरीन कदम साबित हुआ, साथ ही चीन को मेडिकल सहायता भी उपलब्ध करवाई। जबकि पाकिस्तान, ईरान इत्यादि देशों के नागरिकों के वायरल वीडियो इन देशों की सरकारों के अव्यवहारिक रवैये के कारण मानवीयता को प्रभावित करते है। भारत में इसका श्रेय श्री नरेंद्र मोदी और उनके कुशल नेतृत्व को जाता है, जिन्होंने तेज़ निर्णय के आधार पर भारत को इस त्रासदी से अभी तक बचाया हुआ है।
अंत में, तिब्बत में नए 35 वायरस, और ब्राजील से निकले वायरस के नए संकट आने अभी बाकी है, यह प्रकृति और मनुष्य के संघर्ष को और ज्यादा बढ़ाएंगे। संभव है, पर्यावरण को शत्रु बनाकर मनुष्य जितना अधिक उसको नुकसान पहुचायेगा, आधुनिक जीवन शैली में जितना ज्यादा प्राचीन दार्शनिक सिद्धांतो की अवहेलना करेगा, प्रकृति भी उतनी ही क्रूर होती जाएगी। जो मानव सभ्यता, प्राकृतिक जीवन और पृथ्वी के लिये बहुत घातक सिद्ध होगा।
अभिषेक सिंह