बस, इतना सा
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ओंकार नाथ त्रिपाठी
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"बस,इतना सा"यह मेरी "शब्द इन" पर प्रकाशित होने वाली आठवीं नई कविता संग्रह है।आम बोलचाल की भाषा में लिखी गई मेरी रचनाएं मानवीय सोच विचार को उद्धृत करती हैं।मेरी रचनाओं में बात के लिए माध्यम मेरी मानस नायिका होती है और उसी से की गयी बतकही को शब्द पुष्पों से सजाकर एक चरित्र को उकेरने का कार्य करती दिखेंगी मेरी रचनाएं। मेरी इन रचनाओं में अनेक साहित्यिक कमियां हैं सकती हैं लेकिन इन रचनाओं में मेरे द्वारा उकेरे गये भावों का अगर पाठकगण रेखांकित करते हैं तब मुझे लगेगा कि मेरा प्रयास सफल है।मुझे"बस, इतना सा"में अपनी रचनाओं पर आप पाठक गण का सुझाव तथा आलोचना सादर स्वीकार्य होगा।
आशा है कि आप पाठक गण मुझपर अपना स्नेह बनाए रखेंगे।
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