shabd-logo

दर्द की इंतहा

2 जुलाई 2018

163 बार देखा गया 163
featured image

(यहां न बात धर्म की है ,न किसी विशेष जाति की ।
यहां तो बात है सिर्फ मासूम बच्चियों की इज्जत की ।
क्यों लाते हो बीच में मजहब और राजनीति को,
है हिम्मत तो दे दो “सबूत “अपने मर्द होने की)

कंठ है अवरुद्ध होठों पर भी लगे हैं ताले,
भुलाकर ईमान सिल गए हैं लवों के प्याले।।

हार रही है मानवता घुट रही है इंसानियत ,
हर पल क्यों दुर्योधन बन रहे युवा हमारे ।।

चीर हरण अस्मिता का एक खेल बन गया ,
अनगिनत बन गए हैं यहां धृतराष्ट्र बेचारे ।।

जोर आजमाइश का अब द्रौपदी पर नहीं ,
मासूमों पर बरस रहे हैं आज दहकते अंगारे।।

घोर कलयुग पनप रहा व्यभिचार के कूप में ,
तन के पुजारी बन रहे हैं आज बुद्धि के मारे ।।

देवियों के देश में हर पल अपमान होता है ,
यहां सिर्फ नवदुर्गा में कन्या पूजन होता है ।।

खोकर मूल्य अपनी संस्कृति के मानव रक्त रंजित हुआ ,
लगता है पाषाण युग में जी रहे हैं हम बेचारे।

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

कविता रावत

कविता रावत

देवियों के देश में हर पल अपमान होता है , यहां सिर्फ नवदुर्गा में कन्या पूजन होता है ।। खोकर मूल्य अपनी संस्कृति के मानव रक्त रंजित हुआ , लगता है पाषाण युग में जी रहे हैं हम बेचारे। ..गहन विचार व मंथन का दौर है

14 जून 2022

2
रचनाएँ
versha
0.0
यही है जिंदगी https://www.facebook.com/profile.php?id=100007030427865
1

दर्द की इंतहा

2 जुलाई 2018
1
1
1

(यहां न बात धर्म की है ,न किसी विशेष जाति की ।यहां तो बात है सिर्फ मासूम बच्चियों की इज्जत की ।क्यों लाते हो बीच में मजहब और राजनीति को,है हिम्मत तो दे दो “सबूत “अपने मर्द होने की)कंठ है अवरुद्ध होठों पर भी लगे हैं ताले,भुलाकर ईमान सिल गए हैं लवों के प्याले।।हार रही है मानवता घुट रही है इंसानियत ,हर

2

bacche aur mata pita

28 जुलाई 2019
0
2
1

जय श्री कृष्ण मित्रो ... #हक़ीक़त ये भी है कि आज बच्चों के माता पिता बने रहने की बजाय उनके मित्र बनने की कोशिश करें ।अपनी मनमर्जी थोपने की बजाय उनकी खुशियों पर भी ध्यान दें तभी समाज को विकृति से बचाया जा सकता है ।बच्चों के साथ बैठना ,उन्हें सही संस्कार देना और घरों मे

---

किताब पढ़िए