दशहरा को विजया-दशमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह दिन प्रतीकात्मक है, बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत का. एक मान्यता यह भी है कि रावण के दस सिर थे, और इस दिन ही उसका वध हुआ था इसलिए इस दिन को दशहरा के नाम से जानते है अर्थात दस सर वाले का प्राण-हरण करने वाला दिन. दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. दशहरा भारत की विविधता में एकता में जीवंत उदहारण है, जहाँ एक तरफ ब्राह्मण इन दिनों में शास्त्र-पूजा करते है, वहीँ क्षत्रिय समाज को इस दिन शस्त्र की पूजा करते है. जहाँ उत्तर भारत के हिन्दू मांसाहार का त्याग करते है तो बंगाली हिन्दू पंडालों में विशेष कर मछली-भात खाने जाते है. इस दिन की मान्यता यह है कि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है उसमें विजय प्राप्ति होती है. इसीलिए राजा- रजवारे इसी दिन दूसरे राज्य पर आक्रमण करते थे. व्यापरी समाज अपने नए व्यापार का उद्घाटन करने के लिए आज का दिन चुनते है. यह दिन धनतेरस समान ही शुभ है. दशहरा के दिन पुरे भारत वर्ष में रावण दहन का आयोजन किया जाता है, जो की दर्शाता है कि बुराई पर सदेव अच्छाई की ही जीत होती है. लोग इस दिन अपने ghar में शमी का पौधा भी लगाते है, जीके पीछे यह मान्यता है कि शमी के पत्तों को घर लाने से घर में स्वर्ण का आगमन होता है. दशहरे के पूर्व नौ दिनों का नवरात्र मनाया जाता है. भारत के हर भाग में इसे अलग -अलग तरीके से मनाया जाता है.दशहरा भारतवर्ष में मनाये जाने वाले एक प्रमुख धार्मिक त्यौहार है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. दशहरा को न केवल भगवान राम बल्कि माँ दुर्गा से भी जोड़कर देखा जाता है. एक मान्यता यह भी है कि माँ दुर्गा ने महिषासूर से लगातार नौ दिनो तक युद्ध करके, दशहरे के ही दिन उसका वध किया था.