मैं तीर्थ नगरी 'प्रयागराज' हूँ ..
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, इसी पावन भूमि पर ब्रह्माजी ने सृष्टि का काम पूरा होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के 'प्र' और 'याग' अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम पड़ा 'प्रयाग'। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं।
अकबर ने 1583 में प्रयाग का नाम बदलकर इलाहाबाद रखा दिया था। हिन्दी नाम इलाहाबाद का अर्थ अरबी शब्द इलाह (अकबर द्वारा चलाये गए नये धर्म दीन-ए-इलाही के सन्दर्भ से, अल्लाह के लिये) एवं फारसी से आबाद (अर्थात बसाया हुआ) – यानि 'ईश्वर द्वारा बसाया गया', या 'ईश्वर का शहर' है।
योगी सरकार ने नाम बदला है तो कुछ सोचकर ही बदला होगा! मुझे भी लगता है प्रयाग में वास करने वाले हिंदुओं के देवी देवता इस इलाहाबाद से असहज महसूस करते होंगें शायद! इसलिए इस बदलाव को लेकर बेवजह सरकार की मनसा पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।
हां, लगे हाथ सरकार को एक और काम कर देना चाहिए। एक नोटिफिकेशन निकालकर इलाहाबाद विश्विद्यालय को भी प्रयागराज कर देना चाहिए। और हां एक घोषणा और किया जाना चाहिए कि अब से इलाहाबादी अमरूद 'प्रयागराजी अमरूद' कहलाएगा !