हिंदी कवि और हिंदी फिल्मों में काम कर चुके पियूष मिश्रा की कविता "वो काम भला क्या काम हुआ"
वो काम भला क्या काम हुआ जिस काम का बोझा सर पे हो,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिस इश्क़ का चर्चा घर पे हो,
वो काम भला क्या काम हुआ जो मटर सरीखा हल्का हो,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिस में ना दूर तहलका हो,
वो काम भला क्या काम हुआ जिसमें ना जान रगड़ती हो,
और,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें ना बात बिगड़ती हो,
वो काम भला क्या काम हुआ जिसमें साला दिल रो जाए,
और,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो आसानी से हो जाए,
वो काम भला क्या काम हुआ जो मज़ा नहीं दे whisky का,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें ना मौका सिसकी का,
वो काम भला क्या काम हुआ जिसकी ना शक्ल-ए-इबादत हो,
और,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसकी दरकार इज़ाज़त हो,
वो काम भला क्या काम हुआ जो कहे घूम और ठग लेवे,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो कहे 'चूम' और भग लेवे,
वो काम भला क्या काम हुआ जिसमें न ठसक सिकंदर की,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें ना ठरक हो अंदर की,
वो काम भला क्या काम हुआ जो कड़वे घूँट सरीखा हो,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें सब कुछ ही मीठा हो,
वो काम भला क्या काम हुआ जो 'लब की मुस्कान' ना होता हो,
और,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो सबकी सुनके होता हो,
वो काम भला क्या काम हुआ जो वातानुकूलित हो बस,
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो हांफ के कर दे चित्त पस्त,
~ Piyush Mishra
हिंदी कविता: कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया कविता - पियूष मिश्रा । Hindi News | Hindi Poems