देवांशिका.... एक साथ अधूरा सा!
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तकदीर में मिलना...
पर नियति ने हमारा,
बिछड़ना लिखा था..
साथ हमारा था इक ख्वाब...
हकीकत में तो जुदाई लिखा था!
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एक कमरे में बैठी एक लडकी अपने हाथों में एक तस्वीर लिए बस उसे एक टक देखे जा रही थी.. उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई है...उस लडकी ने उस तस्वीर को देखते हुए अपने डायरी के पन्नो पर लिखना शुरू किया! ...तुम्हारी बस यही एक याद है हमारे पास जो हमे... हर वक्त हमारे साथ होने का एहसास दिलाती हैं..!!
हां माना हमारे दूर होने की वजह भी हम ही हैं... पर हम भी तो थे किस्मत के हाथों मजबूर है..
हम ना चाहते थे...आपसे जुदाई... पर किस्मत में सायद लिखी थी.... हमारी जुदाई....!
आंखे है नम ,
पर लब मुस्कुराएं जा रहे हैं ,
दिल चाहे....
कहने को हजार बाते ,
पर लब ना है कुछ कहने को राजी!
उस तस्वीर को देखते हुए.
पुरे..पुरे इक साल हो गए हमे एक दुसरे को देखे हुए
ये एक साल हमारे लाइफ के सबसे बुरे दिन थे, कैसे हमने ये एक साल गुजारे है ,ये तो हमें ही पता है.!
ये कहते हुए वो लड़की उस तस्वीर को कश कर गले लगा कर रोने लगती हैं!
दरवाजे पर खड़ी इक लड़की जो कबसे से वहां खड़ी उसकी बातें सुन रही होती है.!
उसे रोता हुआ देख उसके पास आ कर उसे कश कर गले लगा लेती है! और उसके सर को सहलाते हुए..
आशी यार जीतना रोना है रो ले तेरा दिल हल्का हो जाएगा ... ऐसे.. तू क्यों याद करती हैं यार वो सब कुछ जिससे तूझे तकलीफ होती हैं..? तू इन यादों को अभी तक क्यों इतना संभाल कर रखी है.?अगर तू इन्हे ऐसी ही!
बार – बार देखती रहेगी तो कैसी कर पाएगी खुद को तू इन यादों से दूर..? ये श्रेया है आशी की रूम पार्टनर,
रूम पार्टनर के साथ साथ दोनो बेस्ट फ्रेंड भी है।
आशी – होना भी कौन चाहता है..? कमबख्त इन यादों से दूर,,
इन यादों में ही तो हमारी रूह क़ैद है!!
ये यादें ही हमारी जीने की वजह है... जिन्हें याद करने पर ही हमारे लबों पर मुस्कान आती हैं... जो हमारी रूह हैं... उस रूह से भला कोई कैसे जुदा हो सकता है..?
श्रेया – वाह वाह क्या बात है! हमारी शेरनी तो शायरी करने लगी है .! वैसे तूने शायरी व्यारी का सौख कब से शुरू कर दिया..? वैसे जनाब आपकी शेरो शायरी हो गई हो तो कुछ खाने को भी मिलेगा या.. इन शेरो शायरी से ही .. पेट भरना पड़ेगा..?
आशी – हो गई ना अब तेरी नौटंकी शुरू.? जाओ यार और कुछ खुद ही बनाओ और खाओ! मुझे तो बिलकुल भी भूख नही है ! सो तू जा अभी! अब बस मुझे अकेला छोड़ दे. यार प्लीज अब जाओ भी! गुस्सा होते हुए आशी ने घूर कर कहा!
रोने की वजह से उसकी आंखे एकदम लाल हो चुकी थी और सूज भी गई थी!
श्रेया – ठीक है बाबा जा रही हूं ! ऐसे गुस्से से मत देख!
आशी – हम्मम!
आशी मन में सोचते हुए
सॉरी स्रेयू मुझे पता है , मैने तुम्हे बहुत हर्ट किया ना! पर मैं क्या करती यार तू भी तो नही सुनती है ना.. तो मजबूरन मुझे ए सब करना पड़ा!
मैं क्या करूं यार ,मैं चाह कर भी इन यादों से दूर नही जा सकती .. तूझे मै कैसे बताऊं .? मुझे चैन मिलता है तो इन यादों से ही मिलता है! इन यादों मे जीना ही मुझे अच्छा लगता हैं! इन यादों को याद करने से ही मुझे सुकूं मिलता है!
हां माना ये महज एक यादें है जो कभी सच नही होंगी..
ये एक ऐसा टूटा ख़्वाब है,
जो टूट कर भी टूट ना पाया है!
जो टूट कर भी ना टूटा वो साथ है हमारा
यादों के, एहसासो से बंधा है, वो बन्धन है हमारा!
आशी ने अपने डायरी के पन्नो पर लगी तस्वीर के निचे ये शेर लिखा!
ये है हमारी आशी..आशी का पूरा नाम है!अंशिका राठौर, अंशिका इक मिडिल क्लास फैमिली से है! यहां हॉस्टल में रह कर पढाई करती हैं। अंशिका की फैमिली में उसके दो भाई एक भाभी है,छोटा वाला भाई.. वो भी हॉस्टल में रहता है ! अंशिका के मां पापा की अभि हाल ही मे एक एक्सीडेंट में डेथ हो जाती है, जिससे अंशिका और अकेली हो गई! उस हादसे में फसी तो अंशिका भी थी पर महादेव की कृपा से बच गई!
पर उसकी जिंदगी में परेशानियां खत्म कहां हुई, उसकी जिंदगी में चुनौतियां तो अब शुरु हुई थी! मां पापा के जाने के बाद,, आशी की जिंदगी से खुशियां, चैन, सुकून, सब चला गया! अंशिका की लाइफ से!
मगर अंशिका ने हार नहीं मानी जिंदगी को जीना नहीं छोड़ा , हर हार को जित मे बदलना ही अंशिका की जिद है!
अपनी खुद की पहचान को बनाना ही अंशिका का मकसद है!
यह है हमारी अंशिका की लाइफ।
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इधर...
हाइवे पर एक बाइक तेज रफ्तार से भागे जा रही थी।
कुछ देर बाद वो बाइक इक रेस्टोरेंट के सामने आ कर रुकती हैं.. उस बाइक को पार्क कर वो लड़का अंदर जाता हैं।
इधर उधर नज़र डालता किसी को ढूंढ रहा वो ,तो वहां सबसे लास्ट वाली टेबल पर बैठी एक लड़की नज़र आती हैं।
उसके पास जाते ही... वो लडका बोलता है..बोलो क्यूं बुलाया यहां मुझे..?
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क्रमश: जारी है..............
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🖤...Jai mahakal...🖤