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दिल का लॉकडाउन

18 सितम्बर 2021

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शाहीन।जी हाँ ---शाहीन बानो।लखनऊ  की रहने वाली 22 वर्ष की एक कॉलेज विद्यार्थी।एक समझदार और सुलझी हुई लड़की।शाहीन अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहती थी।इसलिए वह प्यार, मोहब्बत, लव,इश्क़ इन सभी से कोसों दूर रही।उसने लगा रखा था --अपने दिल पर लोकडाउन।ऐसा नहीं था कि उसके घर में इन सब बातों की पाबंदी थी। उसके माता-पिता और भाई का प्रेम विवाह हुआ था।शाहीन को ये सब बातें  फिज़ूल लगती थीं।उसका ध्यान केवल करियर बनाने में था।

शाहीन के घर के सामने एक और घर था।वहां रहते थे असलम मियाँ, एक फोटोग्राफर और व्यवसायी । शाहीन के स्वभाव से एकदम विपरीत।असलम मियाँ जिंदगी को जीना पसन्द करते थे। उनका गंभीर स्वभाव ज़रा भी नहीं था। हमेशा खुश रहने वाले व्यक्ति।

एक दिन असलम साहब बाज़ार में शाहीन से टकरा गए। शाहीन गुस्से में बोली, "देख के नहीं चल सकते क्या?"
असलम ने जवाब दिया, "माफ कीजिएगा।ध्यान तो आपका भी नहीं था।"
शाहीन ने कहा, "बहस नहीं करो। कूदते फुदकते आप ही आ रहे थे।"
असलम साहब बोले, "आप भी फोन पर बात करती हुई आ रहीं थीं।" दोनों में तीसरा महायुद्ध हो ही जाता अगर असलम का दोस्त अमर बीच में नहीं आता। तो यह थी इनकी पहली मुलाकात।

फिर अक्सर ऐसे मौके आने लगे जब दोनों ही टकरा जाते।कभी कपड़ों की दुकान पर तो कभी मोबाइल की दुकान पर।एक दिन शाहीन ने पूछ लिया, "तुम मेरा पीछा क्यों करते हो?"
असलम ने जवाब दिया,"जी अगर ये बात मै कहूं तो। जहां भी जाता हूं आप वहां पहुंच ही जाती हैं।"
शाहीन ने कहा,"ज़रा भी शर्म नहीं तुम्हें।"

एक दिन असलम मियां अपने घर की बालकनी में खड़े थे।इधर शाहीन जी अपनी बालकनी में आ गईं।उनको देखते ही असलम मियां ने हाथ हिला कर हेलो कहा।शाहीन ने पहले तो अनदेखा किया पर फिर सिर्फ मुस्कुरा दी।अगले दिन फिर ऐसा ही हुआ।

एक दिन दोनों फिर एक दुकान पर टकरा गए।पर इस बार शाहीन को असलम पर गुस्सा नहीं आया।शाहीन की सहेली उसको बोली,"शाहीन तुम ये वाला ड्रेस ले लो।"
बीच में ही असलम मियां बोल पड़े,"तो आपका नाम शाहीन है।"
शाहीन ने जवाब दिया,"हां।"
असलम ने जवाब दिया,"बहुत खूबसूरत नाम है आपका।आपकी तरह।"
शाहीन ने कहा," बाज नहीं आते तुम अपनी हरकतों से।"
असलम हंसने लगा क्यूंकि आज शाहीन के गुस्से में वो बात नहीं थी।

फिर तो अक्सर दोनों बालकनी से एकदुसरे को हेलो करने लगे।एक दो बार मुलाकातें भी हुई।दोनों ने अपने बारे में बताया।

अचानक एक दिन असलम मियां ने शाहीन को फेसबुक पर रिक्वेस्ट भेज दी।शाहीन ने उसको स्वीकार भी कर लिया।दोनों है लंबे लंबे समय तक बात करने लगे।दोनों एक दूसरे को अपनी हर बात बताने लगे।
एक दिन असलम ने शाहीन का फोन नंबर मांग लिया।शाहीन ने भी आसानी से नंबर दे दिया।अब दोनों की बातचीत का नया सिलसिला शुरू हो गया।शाहीन और असलम फोन और वॉट्सएप पर बाते करने लगे।शाहीन तो पूछो जैसे पढ़ाई भी भूल बैठी थीं।वो तो असलम ने याद दिलाया ,"शाहीन तुम्हारे एक्जाम आ रहे हैं।पढ़ाई भी कर लो।"

अप्रैल  में शाहीन की परिक्षाएं थीं।दो महीनों तक शाहीन और असलम के बीच कोई बात नहीं हुई।पर शाहीन और असलम ने एक दूसरे को काफी मिस किया।

एक्जाम खत्म होने के बाद फिर दोनों की बातचीत फिर शुरू हो गई।दोनों बालकनी में आए पर इस बार बात कुछ अलग थी।शायद दोनों ने एक दूसरे के लिए कुछ महसूस करना शुरू कर दिया था। यह उन दोनों को ही दो महीना अलग रहकर महसूस हुआ।

वो शाहीन जिसे प्यार ,इश्क, मोहब्बत इन सब बातों से कुछ लेना देना नहीं था अब वो भी कुछ अलग अंदाज़ में दिख रही थी।असलम मियां का चुलबुलापन कम हो गया था।जनाब थोड़े गंभीर हो गए।

एक दिन असलम ने शाहीन को फोन किया और कहा ,"मै तुमसे कुछ कहना चाहता हूं ,शाहीन।क्या इजाज़त हैं?"
शाहीन ने कहा ,"हां कहो ना।"
असलम ने पूछा ,"तुम नाराज़ तो नहीं होगी?"
शाहीन ने कहा," ऐसा भी क्या कहना है तुमको?"
असलम ने कहा ,"पहले बोलो नाराज़ नहीं होगी। प्रोमिस करो!"
शाहीन ने कहा ,"अच्छा नहीं नाराज़ होने वाली।अब बोलो।"
असलम ने झिझकते हुए कहा,"आई लव यू,शाहीन।"
उधर शाहीन चुप हो गई।कहीं ना कहीं वो भी असलम को पसंद करने लगी थी।
असलम ने पूछा,"क्या हुआ कुछ गलत कहा मैने? मैं जानता हूं तुम ज़िन्दगी में कुछ करना चाहती हो,करियर बनाना चाहती हो।तुम बिल्कुल फिक्र ना करो। मै तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।तुम्हें ज़िन्दगी में जो करना पहले करो।मेरा सहयोग हमेशा तुम्हारे साथ है।पर शादी का फैसला तो मेरे साथ करने का ले सकती हो ना?"
शाहीन यही तो चाहती थी कि प्यार या शादी कभी भी उसके भविष्य में रुकावट ना पैदा करे।असलम में उसको ऐसा ही जीवनसाथी दिखाई दे रहा था।
उसने असलम को जवाब में कहा,"मुझे ग्राफिक डिजाइनर बनना है।"
असलम ने कहा ,"अरे तो बनो ना ।मुझसे ज़्यादा खुशी किसे होगी?"
शाहीन ने कहा,"उसके बाद मुझे जॉब भी करनी है।"
असलम ने कहा ,"ज़रूर करना शाहीन।"
शाहीन ने फिर कहा,"पर मुझे शादी के बाद भी जॉब करनी है।अपने अब्बू अम्मी से पहले ही पूछ लो।कहीं बाद ने उन्होंने मना कर दिया और कहा हमें नहीं काम करवाना अपनी बहू से।"
असलम ने जवाब दिया ,"अरे बाबा नहीं मना करेंगे।
शाहीन ने पूछा,"तुम्हें कैसे पता?"
असलम के मुंह से निकल गया,"मैने पहले ही पूछ लिया है सब उनसे।"
शाहीन ने कहा,"पर मैने अभी हां कहां कहा?"
असलम ने कहा,"तो कर भी दो।"
शाहीन की चुप्पी है उसकी हां को बयान कर रही थी।पर उसको भी अब नखरे दिखाने आ गए थे।बहुत ज़ोर देने पर उसने भी असलम से कहा, "हां।"

आखिर शाहीन ने  अपने दिल का लॉकडाउन खत्म कर ही दिया।
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                                                             (निधि शर्मा)


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