दिल्ली शहर के एक शानदार अपार्टमेंट है-आइडियल होम्स, इस अपार्टमेंट में करीब 500-600 परिवार रहते हैं। आइडियल होम्स के बाईं तरफ एक प्यारा-सा रेस्टोरेंट है जिसका नाम है - द कैफे ।
सुबह के 6: 00 बजे हैं, आइडियल होम्स की मेन गेट पर डिलीवरी ब्वॉय एक छोटी-सी ट्रक लेकर आता है और सिक्योरिटी गार्ड से कहता है।
डिलीवरी ब्वॉय-सिक्योरिटी भैया G 206 पर नंबर डायल करके दिशा दीदी को बता दीजिए मिल्क डिलीवरी के लिए गेट पर आ चुका है।
सिक्योरिटी गार्ड-हाँ बोल देते हैं लेकिन हमारा नाम सिक्योरिटी भैया नहीं उदित भैया है।
डिलीवरी ब्वॉय- (हँसकर) हाँ-हाँ उदित भैया थोड़ा फोन करके बता दीजिए ना डिलीवरी आ गई मिल्क की।
सिक्योरिटी गार्ड-यह लो दिशा दीदी की खुद ही आ गई हैं।
तभी जींस और पिंक कलर की लॉन्ग कुर्ती पहने हुए एक औरत पूरी फुर्ती से थी हुई मेन गेट पर पहुँचती है जो कि कैफे की ओनर दिशा है।
दिशा-भैया आप आ गए। अनोखी ने कैफे खोला नहीं क्या?
डिलीवरी ब्वॉय-आप के रेस्टोरेंट में तो ताला लगा है।
दिशा फॉरेन अनोखी को फोन डायल करती है।
दिशा-हेलो! अनोखी तुम कहाँ रह गई हो यहाँ मिल्क डिलीवरी के लिए आ चुका है।
तभी ऑरेंज कलर की बूटी दार कुर्ती पहने दुपट्टा संभालते हुए एक प्यारी-सी लड़की बाहर आती है और कैफे के मेन गेट का लगा ताला खोलने लगती है।
कैफे का मेन गेट खुलते ही डिलीवरी ब्वॉय 5-6 कंटेनर की डिलीवरी करता है और चला जाता है।
तभी 40-45 साल की एक औरत कैफे पहुँचती है और शू स्टैंड में अपनी चप्पल उतार देती है कमर पर साड़ी का पल्लू कसती हुई कैफे के मेन गेट से अंदर आती है।
दिशा - (मुस्कुराके )काकी आप भी लेट हो ।
सुकन्या काकी - हाँ बेटा थोड़ी देर हो गई लग जाती हूँ सफाई पर फटाफट ।
दिशा - कोई बात नहीं काकी ।
दिशा -भगवान की फोटो को पोंछती है, अपने काउंटर की डसटिंग करती है और अगरबत्ती जलाकर घंटी बजाते हुए शिव-पार्वती की पूजा करती है ।
तभी दिशा का फोन रिंग होता है ।
दिशा - ( फ़ोन पर पर ) हेलो ! हाँ सूरज कहाँ हो ? सब्जियां लेने को निकले या नहीं ?
सूरज - ( फ़ोन पर दूसरी ओर से) हाँ दीदी निकल चूका । कोई सामान रहा गया तो व्हाट्सएप्प कर दीजियेगा |
दिशा - (फ़ोन पर ) ओके सूरज |
आप अब तक इस कहानी के चार खास लोगों से मिल चुके हैं- पहली दिशा, दूसरी अनोखी, तीसरी कमला और चौथा सूरज ।