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दोहे

26 अक्टूबर 2022

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रचनाएँ
मीराबाई की जीवनी
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मीराबाई का जन्म सन 1498 ई॰ में पाली के कुड़की गांव में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। मीरा का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे। विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद उन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। मीरा के पति का अंतिम संस्कार चित्तोड़ में मीरा की अनुपस्थिति में हुआ। पति की मृत्यु पर भी मीरा माता ने अपना श्रृंगार नहीं उतारा, क्योंकि वह गिरधर को अपना पति मानती थी।
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मीराबाई

27 सितम्बर 2022
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मीराबाई की जीवनी... पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।सत की नाव खेवहि

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मीराबाई

11 अक्टूबर 2022
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इतिहास में मीराबाई का नाम बड़े आदर और सत्कार से लिया जाता है मीराबाई मध्यकालीन युग की एक कृष्ण भक्त कवियित्री थी जिन्होंने श्री कृष्ण को प्राप्त करने के लिए भक्ति मार्ग चुना और हमेशा भजन तथा कीर्तन के

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दोहे

26 अक्टूबर 2022
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दोहे—मीरा दीवानी हुई , श्याम दिखे चहुँओर ।विष प्याला अमृत हुआ,श्याम समाए कोर ॥मीरा की वाणी बसे, सप्त सुरों का मेल ।कृष्ण भजन में रम गई,राणा खेलें खेल ॥दासी मीरा हो गई,कृष

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