6. जब बाबा काशी गए, गौरा भयीं अधीर।
अन्न, अंबु, घर तज दिया, अक्ष बहे झर नीर।।
7. कंठ हार भोले सजे, है परम मूल्य वान।
भक्त अपरिमित वासुकी, न करे कोई मान।।
8. शिव पूजन का नाग का, है पहला अधिकार।
प्राणी जो सुमिरन करे, करते बेड़ा पार।।
9. श्रावण के चंद्र मास में, दुख होता सब नाश।
जब विश्राम करें हरी, हर हरते संत्रास।।
10. बड़े हुए तो क्या हुआ, मत करना तुम मान।
कर लो शिव की वंदना, रखते सबका ध्यान।।