दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण प्रणाली से भिन्न है। परम्परागत शिक्षण प्रणाली में जहां शिक्षक प्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थी के सम्मुख होता है और पाठ्यक्रम का पूर्ण ज्ञान कराने के साथ ही उसकी जिज्ञासाओं का भी समाधान करता है, वहीं दूसरी ओर दूरस्थ शिक्षा प्रणाली आज कई भिन्न-भिन्न रूपों में प्रचलित है। जिसमें सबसे प्रचलित स्वरूप पत्राचार प्रणाली है। इस शिक्षण प्रणाली में विद्यालय या विश्वविद्यालयीन संस्था द्वारा मुद्रित पाठ्य सामग्री समय-समय पर विद्यार्थियों को प्रेषित कर दी जाती है, जिसे विद्यार्थी सामग्री में निहित निर्देशों के अनुसार स्वयं पढ़ते हैं और निर्धारित समय में परीक्षा देते हैं। आज का युग सूचना क्रांति और इंटरनेट का युग है, जिस कारण पाठ्य सामग्री विद्यार्थियों को शीघ्र उपलब्ध करा दी जाती है। लेकिन इस मुद्रित पाठ्य सामग्री में कई समस्याएं आती हैं, जिस कारण आज इसके स्थान पर अमुद्रित साधनों का प्रयोग तीव्र गति से बढ़ रहा है। इसलिए आज इस क्षेत्र में इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों के माध्यम से शिक्षा का प्रयोग तीव्र गति से होने लगा है। जिसमें रेडियो, टी.वी., फैक्स, टेलीपाइन, कम्प्यूटर, इंटरनेट का प्रयाग मुख्य हैं। इंटरनेट के माध्यम से तो आज पलक झपकते ही विद्यार्थी अपनी समस्या का समाधान पा लेता है। इसके लिए आज कई साधन उपलब्ध हैं।
आज का युग संचार प्रौद्योगिकी के अति प्रगति के कारण उन्नत अवस्था में है, जिसमें एक देश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व ही एक जगह आकर सिमट गया है। अब सूचना के उन्नत उपकरणों के कारण दूरी के कोई मायने नहीं रह गए हैं। भारत में बैठा कोई भी विद्यार्थी विश्व के किसी भी दूरस्थ विश्वविद्यालय से आॅनलाईन शिक्षा तथा उपाधि प्राप्त कर सकता है।