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लैंगिक सशक्तिकरण

11 अक्टूबर 2022

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सदियों से चली आ रही लैंगिक असमानता एक परम्परा की तरह आज भी हमारे समाज में सहजता से देखने को मिल जाती है।  आज भी सामान्य समाज में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो घर-परिवार वाले उसकी ख़ुशी में जो कार्यक्रम निर्धारित करते हैं, वह लड़का या लड़की को देखकर ही निर्धारित करते हैं, जहाँ नाते-रिश्तेदारों से लेकर जान-पहचान वाले भी बधाई व शुभकामनाएं भी इसी आधार पर देते नज़र आते हैं। लड़का और लड़की का यह भेद केवल एक घर-परिवार  ही नहीं, अपितु जन समुदाय में एक बहुत बड़े स्तर तक दिखना आज भी गहन चिंता का विषय बना हुआ है। किसी भी सभ्य और सुसंकृत समाज में लड़का-लड़की में भेदभाव संकीर्ण मानसिकता की परिचायक है।  आज भी शिक्षण संस्था यो या कोई सरकारी या गई सरकारी संस्थान या फिर कोई फिल्म, मीडिया इंडस्ट्रीज ही क्यों न हो, यह भेदभाव दिखना  जैसे आम बात है। यद्यपि इस लैंगिक भेदभाव के कारण दोनों लिंगों पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन यदि थोड़ी गहराई से देखेंगे तो यह प्रभाव लड़कियों पर सर्वाधिक पड़ता है। 

आज भी हमारे बहुसंख्यक समाज में बचपन से ही लड़कों की तुलना में लड़कियों को कम आँका जाता हैं। उन्हें अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्रता नहीं मिलती हैं, जिसका असर उनकी शिक्षा के लेकर सामाजिक जीवन स्तर तक देखने को मिलता है।  आज भले ही एक ओर जहाँ शिक्षित व उच्च तबके की कई लड़कियों का विश्व स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली पदों पर रहते हुए कुशल नेतृत्व देखने को मिलता है, वहीँ दूसरी ओर आज भी सामान्य समाज में विशेष रूप से गांवों और शहर की झोपड़-पट्टी में रहने वाली लड़कियों की दशा सोचनीय है, जहाँ वे शोषित और पीड़ित हैं। वे आज भी आर्थिक रूप से पुरुष की गुलाम समझी जाती हैं। उन्हें प्राचीन निरर्थक संस्कारों, आस्थाओं तथा व्यर्थ की परम्पराओं से भ्रमित किया जाता है। वे दहेज़ विरोधी क़ानून के होते हुए भी दहेज प्रताड़ना की शिकार होती हैं। 

लैंगिक सशक्तिकरण की दिशा में आज केंद्र और राज्य सरकारें लड़कियों के लिए कई योजनाएं जैसे -  बालिका समृद्धि योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना आदि चला रहे हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ जब तक निम्न तबके तक नहीं पहुंचेगा तब तक यह असमानता दूर नहीं की सकेगी। इसके अलावा लड़कियों को शिक्षा के साथ ही कौशल विकास, खेलकूद में साझा मंच देकर उन्हें विकास  की मुख्य धारा से जोड़ने के हर संभव प्रयास छोटे से लेकर बड़े स्तर तक एक साथ करने होंगे और साथ ही गरीबी जो सबसे बड़ी बाधक है, उससे पार करनी होगी।  


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रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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कला चिकित्सा और इसके लाभ

3 अक्टूबर 2022
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मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022
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यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन

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कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
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जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम

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जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022
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कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो

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आधुनिक जीवन शैली

9 अक्टूबर 2022
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आज के दैनिक लेखन 'आधुनिक जीवन शैली' के विषय पर अपने विचार व्यक्त करने से पहले हमें हमारी भारतीय पुरातन जीवन शैली के बारे में कुछ बातें समझनी आवश्यक होंगी। तुलसीदास जी 'रामचरित मानस' के एक प्रसंग में क

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11 अक्टूबर 2022
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कहने को तो परिवार एक छोटा सा शब्द है, लेकिन यही वह जगह होती है, जिसके इर्द-गिर्द मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन चक्र घूमता है। परिवार के बारे में जब हम  विचार करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि परिवार मर्यादा

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करवाचौथ का व्रत

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हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों द्वारा अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौ

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डिजिटल निरक्षरता

14 अक्टूबर 2022
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आज का युग डिजिटल का युग है। जिस तरह से आज घर से लेकर दफ्तर तक सब कार्योँ का डिजिटलीकरण का प्रसार हुआ है, उस तरह से डिजिटल साक्षरता का अभाव होने से आम नागरिकों को कई तरह की धोखाधड़ियोँ का शिकार होना पड़

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मेरा पहला कार्य दिवस

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मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग के अधीन हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था संचालित करने वाले विभाग राज्य शिक्षा केंद्र में ७ फरवरी १९९५ को मेरा पहला कार्य दिवस था। मुझे पहले दिन कार्यालय में मेरे बड़े भैय

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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
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किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो

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21 अक्टूबर 2022
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हमारी भारतीय संस्कृति उत्सवधर्मी है, जहाँ वर्ष भर तन-मन की थकान दूर करने के उद्देश्य से हमारे धार्मिक ग्रंथों में तीज-त्योहारों का उल्लेख कर उन्हें समय-समय पर मनाये जाने का वर्णन किया गया है। इन त्योह

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दूरस्थ शिक्षा

22 अक्टूबर 2022
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दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण  प्रणाली से भ

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आरोग्य का पर्व है दीपावली

24 अक्टूबर 2022
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दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से

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सोशल मीडिया और समाज का धुर्वीकरण

27 अक्टूबर 2022
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सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट

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