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करवाचौथ का व्रत

13 अक्टूबर 2022

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हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों द्वारा अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौहार, पर्वादि हमारी भारतीय संस्कृति की अनेकता में एकता की अनूठी पहचान कराते हैं, जो सर्वसाधारण को  जिन्दगी की भागदौड़, दुःख-दर्द, भूख-प्यास भुलाकर उल्लास, उमंग-तरंग में डुबोकर तरोताजा होने का अवसर प्रदान करते हैं। इन्हीं पर्व, उत्सव, तीज-त्यौहार या फिर मेले आदि की परम्परा के कारण हमारी भारतीय संस्कृति पर "आठ वार और नौ त्यौहार" वाली उक्ति चरितार्थ होती है।

कोई भी पर्व, त्यौहार हो या फिर मेला आदि सभी में विशेष पकवानों का प्रचलन रहता हैं, जिनके बिना ये सभी अधूरे समझे जाते हैं। इन सभी बड़े हो या छोटे व्रत, त्यौहार सभी में पूजन से लेकर विविध पकवान बनाने तक का सारा जिम्मा महिलाओं का होता है। इन सभी जिम्मेदारियों के बावजूद महिलाओं के अपने भी कुछ अलग अपने व्रत, त्यौहार हैं, जिनमें प्रमुखत: उनके द्वारा बच्चे की दीर्धायु, संतान सुख और उसके अच्छे भविष्य के लिए रखा जाने व्रत अहोई अष्टमी या संतान सप्तमी और कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पति के लम्बी आयु के लिए करवाचौथ व्रत करने की प्रथा है। करवाचौथ कहने को तो एक व्रत है लेकिन यह वास्तव में पति-पत्नी के पवित्र रिश्तों का आधार स्तम्भ है, जो नारी शक्ति और उसकी क्षमताओं का श्रेष्ठ उदाहरण है।  इस व्रत में सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्ध आयु, उत्तम स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना कर बालू अथवा सफ़ेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश एवं चन्द्रमा की स्थापना करते हैं। इन मूर्तियोँ के अभाव में सुपारी पर नाल बांधकर भगवान का सुमिरन कर स्थापित कर देवों को पूजा जाता है।  तत्पश्चात करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर पूजन करने के साथ ही एक लोटा, एक वस्त्र और एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन किया जाता है। दिन में करवाचौथ की कथा पढ़ी और सुनी जाती है। इस व्रत को सबसे बड़ा सौभाग्यदायक माना जाता हैं इसलिए सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का कढ़ाई से पालन करती हैं।  शास्त्रों के अनुसार पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचंद्र गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। दिन भर  उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्ध्य देने के उपरांत ही उपवास खोलने का विधान है। यह बहुत अच्छी बात है कि आज के समय में भी अधिकांश स्त्रियां करवाचौथ को परम्परागत ढंग से पूरी विधि-विधान से मनाती हैं।     

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रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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कला चिकित्सा और इसके लाभ

3 अक्टूबर 2022
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मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022
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यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन

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कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
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जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम

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जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022
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कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो

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आधुनिक जीवन शैली

9 अक्टूबर 2022
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लैंगिक सशक्तिकरण

11 अक्टूबर 2022
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12 अक्टूबर 2022
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कहने को तो परिवार एक छोटा सा शब्द है, लेकिन यही वह जगह होती है, जिसके इर्द-गिर्द मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन चक्र घूमता है। परिवार के बारे में जब हम  विचार करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि परिवार मर्यादा

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करवाचौथ का व्रत

13 अक्टूबर 2022
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डिजिटल निरक्षरता

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आज का युग डिजिटल का युग है। जिस तरह से आज घर से लेकर दफ्तर तक सब कार्योँ का डिजिटलीकरण का प्रसार हुआ है, उस तरह से डिजिटल साक्षरता का अभाव होने से आम नागरिकों को कई तरह की धोखाधड़ियोँ का शिकार होना पड़

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मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग के अधीन हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था संचालित करने वाले विभाग राज्य शिक्षा केंद्र में ७ फरवरी १९९५ को मेरा पहला कार्य दिवस था। मुझे पहले दिन कार्यालय में मेरे बड़े भैय

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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

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किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो

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हम और हमारे त्यौहार

21 अक्टूबर 2022
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हमारी भारतीय संस्कृति उत्सवधर्मी है, जहाँ वर्ष भर तन-मन की थकान दूर करने के उद्देश्य से हमारे धार्मिक ग्रंथों में तीज-त्योहारों का उल्लेख कर उन्हें समय-समय पर मनाये जाने का वर्णन किया गया है। इन त्योह

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दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण  प्रणाली से भ

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आरोग्य का पर्व है दीपावली

24 अक्टूबर 2022
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दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से

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सोशल मीडिया और समाज का धुर्वीकरण

27 अक्टूबर 2022
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सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट

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